Deepak Singh
-
Deepak Singh wrote a new post, मेरी कल्पना 4 weeks ago
जी करता है कागज में तस्वीर तेरी ऊतार दूं ,
दिल के किसी कोने का राज उसमें उकेर दूं |
ख़्वाब में था जो, हकीकत में उसे देख रहा हूं ,
खुद पे नहीं अंकुश, मन विचलित कर जाता हूं |कल्पना थी कि कोई मुझसे भी प […]
-
Deepak Singh wrote a new post, नि:स्वार्थ प्रेम 1 month ago
तुम धरा हो, मैं वृक्ष हूं
तुम चैतन्य हो, मैं प्रेम हूं |तुम नदिया हो, मैं किनारा हूं
तुम अग्नि हो, मैं हवनकुंड हूं |तुम जीव हो, मैं श्वास हूं
तुम मर्यादा हो, मैं छैला हूं |सच कहूं मैं प्रिय […]
-
Deepak Singh and
Rishi Kumar are now friends 1 month ago
-
Deepak Singh wrote a new post, मकर संक्रांति 1 month, 2 weeks ago
काली रात बीत गई, नई सुबह आई है |
शुभ हुआ अशुभ पर भारी मंगल बेला आई है |
पौष माह की सर्द रातों का चंद्रमा, अब माघ माह में आया है |
सूर्य ने भी करवट बदली मकर संक्रांति की बेला पर, उत्तर दिशा की ओर निकला आज अपना तेज लेकर है | -
Deepak Singh wrote a new post, संदेशा 2 months, 3 weeks ago
कड़कती बिजली की तरह चमचमाती हुई आती हो और सर्द हवा सी छू के निकल जाती हो |
इंतज़ार करते हुए तेरा मैं अक्सर ठिठुर जाता हूं संदेशा जो न आए तेरा तो व्याकुल हो जाता हूं |नींद में होता हूं जब संदेशा आता है तेर […]
-
Deepak Singh wrote a new post, भौंरा 2 months, 4 weeks ago
तेरी खुली जुल्फों से मैं एक सवाल करता हूँ
चाहत है तेरी कौन ये दरखास्त बारंबार करता हूँ |लगाए थे तूने आज तक कई पहरे सोच पर मेरे
मनाया तुझे कई बार पर तू मानी न कहने पर मेरे |जिन आंखों में शर्म थ […]
-
Deepak Singh commented on the post, शिकवों के पुलिंदे…. 3 months ago
वाह, बहुत खूब |
-
Deepak Singh commented on the post, क्या खराबी है कि मियां शराबी है 3 months ago
जबरदस्त गुरू जी |
-
Deepak Singh wrote a new post, मदिरा और बारिश 3 months ago
ऐ मदिरा, मैं नशे में तेरे चूर रहता हूं होश आ भी जाए तो खुद को भूल जाता हूँ |
आदत सी हो गई है तेरी इस कदर, न पाऊं तुझे पास तो बैचेन हो उठता हूँ |नासमझ हैं वो लोग जो तुझे पीने वाले को शराबी कहकर बदनाम करते है […]
-
Deepak Singh wrote a new post, कोरोना 3 months ago
हाय रे कोरोना तूने क्या – क्या गजब ढाया है,
नया साल आने को है और तू अब तक सता रहा है |क्या कुछ जतन न किया हमने तुझे मनाने को,
घर में ही कैद हो गए खुद की जान बचाने को |विश्व की अर्थव्यवस्था तक गिर च […]
-
Deepak Singh wrote a new post, कब तक उसे याद करूं 3 months ago
कल तक जो कहती थी, मैं नहीं साझा कर सकती अपने दिल का हाल, वो अब लबों से कुछ बोले जा रही है
सच कहूं तो दिल के राज धीरे से खोले जा रही है |कल तक था जिसे शादी – ब्याह, फैशन से परहेज़, वो आज बाजार की रौनक बटोरे […]
-
Deepak Singh wrote a new post, नादान लड़की 3 months, 1 week ago
तू क्यों नहीं समझती मेरे दिल के जज्बातों को…
क्या तेरे सीने में दिल नहीं…?
पत्थर है शायद !
दिल होता, तो धड़कता जरूर |मैं वर्षों से एकटक लगाये तुझे देख रहा हूं,
और तुझे तेरी खूबसूरती का अंदाजा तक नह […] -
Deepak Singh and
Vasundra singh are now friends 3 months, 3 weeks ago
-
Deepak Singh and
Satish Pandey are now friends 4 months, 1 week ago
-
Deepak Singh wrote a new post, मेहनत और मेहनताना 4 months, 1 week ago
मेहनत का कल मेहनताना,
फल पाने को मन ताना बाना |मेहनत की सीढ़ी लगन, मंजिल मेहनताना,
मन आतुर पाने को मेहनताना |देह करौंदे, मेहनत का कड़वा खाना,
मेहनत का स्वाद कुटकी जैसा |अनप […]
-
Deepak Singh wrote a new post, वाणी 4 months, 1 week ago
मानव का गहना है वाणी,
वाणी का भोगी है प्राणी ।
मधुर वचन है मीठी खीर,
कटु वचन है चुभता तीर ।
सद वचन है सदा अनमोल,
मन कांटे से इसको तौल ।
हिय का रूप है वाणी, […] -
Deepak Singh wrote a new post, विदाई 4 months, 1 week ago
विदाई का ग़म किसी से छुपाया नहीं जाता,
दिल की आह को दिखाया नहीं जाता |लाख करे कोशिश कोई ग़म छुपाने की,
चेहरे को नहीं जरुरत इसे दिखाने की |विदाई एक अलगाव होती है,
प्यार रिश्तों का विखराव होती है |कोई क […]
-
Deepak Singh wrote a new post, सुंदरता 4 months, 1 week ago
सुंदर दिखना सबको भाता,
हे जीवन के भाग्य विधाता ।
तन की काया कुछ पल सुंदर ,
मन की माया हर पल सुंदर ।
तन सुंदर पर मन न हो कोमल,
वह कुटिल मानव जैसा पुष्प सेमल,
मन […] -
Deepak Singh wrote a new post, एक दूजे का प्रेम 4 months, 1 week ago
प्रेम जिसका इंजन, गाड़ी जिसकी यारी |
इजहार चालक है, खुशियाँ हैं सवारी |वह एक फरिश्ता है, खूबसूरत गुलदस्ता है |
लगता बहुत नाजुक, पर सच्चे दिल से रिश्ता है |वह आस से जीता है, विश्वास से चलत […]
-
Deepak Singh wrote a new post, बचपन और बुढ़ापा 4 months, 1 week ago
जीवन तरु की नई कोंपल है बचपन, कोंपल से बनी शाखा युवापन |
शाखाओं से झुका वृक्ष बूढ़ापन, यही चक्र है बचपन, युवा और बूढ़ापन |
खेल खिलौनों में गुजरा प्यारा बचपन, यादें जीवन की सँजोए हुये है बूढ़ापन […] - Load More
सुंदर
बहुत सुंदर
अति उत्तम प्रस्तुति
बहुत खूब