by Devi

गलत को टोकना होगा

January 27, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

गलत को रोकना होगा
गलत को टोकना होगा
सभी को सोचना होगा,
हो ऊंचा नाम भारत का
स्वयं को झौंकना होगा।
सभी को सद दिशा देकर
सभी को देश हित में रह
स्वयं को झौंकना होगा
टूट को रोकना होगा।

by Devi

जीत तक न बैठिए

January 13, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

साँस है जब तलक
तब तलक संघर्ष से
जीतिये जहान पूरा
जीत तक न बैठिए
छोड़िए मत कुछ अधूरा।
निकलिए राह में
उठाइये कदम अपने,
आज नहीं तो कल
आपको मिलेगी मंजिल।
थकिये मत, घबराइए मत
आप निडर रहेंगे तो
बाधाएं आपसे डरेंगी,
कठिनाइयां सरलता बनकर
खुद-ब-खुद राहों से हटेंगी।
खुद की राहों का उजाला
खुद जलकर कीजिये,
मुश्किलों का सामना
डटकर कीजिये।
सब जो करें करें
लेकिन आप कुछ
हटकर कीजिये,
लेकिन अपने सपने
सच कर लीजिए।

by Devi

ठंडक की रात है

January 2, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

ठंडक की रात है,
आसमान साफ है,
तारे ठिठुर रहे हैं,
लेकिन चाँद छिप गया है
या ओढ़ कर सो गया है
एक पक्ष के लिए।
तारे अकेले रात काट रहे हैं,
सुबह का इंतजार कर रहे हैं
कुछ ही घण्टों में सुबह हो जायेगी,
ठंड भाग जायेगी।

by Devi

रात बीत गई

December 29, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

खुल गया सवेरा
रात बीत गई,
उजाला हो गया
तो बात बीत गई।
अब नई बात हो
भूल जा रात को
उजाला आ गया है
नई बात कर
नए प्रातः को।

by Devi

दूसरे को मक्कार कहना

October 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दूसरे को मक्कार कहना
और खुद को महान मानना
छोड़ दे इंसान, मत कर गुमान
जीवन है संघर्ष है सब जीते हैं
सब चलते हैं, चलने वालों को
इस तरह गाली नहीं करते हैं।
कलम से या मुंह से निकले अपशब्द,
तो दूसरे के लिए नहीं
अपने लिए ही कल की पूंजी बनते हैं,
किसी दूसरे को अपशब्द कहे कर
कभी महान नहीं बनते हैं।

by Devi

चाय गरम है

September 10, 2020 in शेर-ओ-शायरी

चाय गरम है,
मीठा कम है
जीवन में गम है
लेकिन अपने जीने का ढंग भी
क्या कम है।
हमें रुला दे, वक्त में ऐसा
कहाँ दम है।

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