विकास कुमार
@dhirendra
active 6 months, 1 week ago-
विकास कुमार and
Master sahab are now friends 6 months, 1 week ago
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विकास कुमार commented on the post, यदि तेज की तलाश हो तो अपने वीर्य को गंदी जगहों पे निवेश करने के बजाय उसे एक सही दिशा दें तो आप ब्रह्मचारी कहलाने के योग्य होंगे ।। जय श्री राम ।। 6 months, 1 week ago
पहुँचायेगा ।।
जो लिखेगा उससे गलती होगा ही, -
विकास कुमार wrote a new post, यदि तेज की तलाश हो तो अपने वीर्य को गंदी जगहों पे निवेश करने के बजाय उसे एक सही दिशा दें तो आप ब्रह्मचारी कहलाने के योग्य होंगे ।। जय श्री राम ।। 6 months, 1 week ago
संतरूपी कविजन आप हमारी खामियाँ को पढ़कर हमे खूब कोसे खूब परेशान करे, अच्छी बात है लेकिन कोई व्यक्ति इस संसार में किसी भाषा का पूर्ण ज्ञाता नहीं होता । वैसे आज कवियों की भरमार लगी है दुनिया में, लेकिन कवि का काम […]
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पहुँचायेगा ।।
जो लिखेगा उससे गलती होगा ही, -
विकास जी आप लिखने में बहुत गलतियां करते हैं यकीन मानिए हम सभी गलतियां करते हैं आत्महत्या का विचार लाना भी गलत होगा क्योंकि एक कवि समाज के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत होता है इस मंच पर सभी श्रेष्ठ कवि आपकी खामियों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं आप उन्हें आलोचक ना मानकर अपना गुरु समझ सकते हैं और ना भूले की आलोचना ही लोचनओं में उठने के लायक बनाती है
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कमियां बताने वाले ही सही मायने में अपने होते हैं
गैरो को क्या पङी
वो तो बातें बनाया करते हैं-
सही कहा निन्दक ही अपने होते हैं गैर तो झूठी तारीफ करते है
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सहमत होने हेतु सादर आभार
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विकास जी आपकी लेखनी मे दम है
मै समझ रहा हूँ हिन्दी लिखने मे कठिनाई होती है आप बिहार के हो इसलिए..
पर आगे बढ़ने पर सुनना तो पढ़ता है उसका बुरा मत मानिए बल्कि सुधार लाइये ताकि कोई टोंक ना पाए..
कविता लेखन मे आपका रोई सानी नही है.
बस वर्तनी थोड़ा पर कोई बात नही हम भाव समझते है..-
सहमत होने हेतु सादर आभार
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“बिहार के हैं इसलिए वर्तनी में अशुद्धि है”,
कहना न्यायसंगत नहीं ।
वैसे अभिव्यक्ति पे पाबंदी भी नहीं ।
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विकास जी। गलती में ही सही का निवास है।आप गलती पे गलती करते रहे। एक न एक दिन अवश्य ही गलती पे सही भारी पड़ने लगेगा।
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विकास कुमार commented on the post, ये कैसी है रीति ये कैसी है नीति? 6 months, 1 week ago
आप हम क्षमा कर दीजिये । हमसे जघन्य पाप हो गया है । जय राम जी की ।।
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विकास कुमार wrote a new post, कमाल है कवि आज के ।। 6 months, 4 weeks ago
कमाल है कवि आज के ।
पंडित है शब्द साधक खुद को कहते है ।
दूसरों को शब्दों से पीड़ा पहुँचाते है ।
खूद को ग्यानी, सर्वश्रेष्ठ कवि कहते है ।
कमाल है कवि आज के ।।1।।हम क्या है?
हमारी औकात क्या हिन्दी के […]-
विकास जी, कविता लिखने और कवि बनने के लिए शब्द साधक तो बनना ही पड़ता है। पहले शब्दों को शुद्ध रूप में लिखना सीखना होता है, तब किसी साहित्यिक मंच में कविता लिखनी होती है, फिर खुद को कवि माना जाता है। यदि शब्द और वाक्य अशुद्ध हों तो वह कविता नहीं, भाषा के साथ अन्याय है।
आपके द्वारा लिखी गई इस कविता में आपने इतनी अशुद्धियां की हैं–
1- शीर्षक में ही गलती है, ‘कमाल हैं’ होना चाहिये था।
2- खुद को खूद लिखा है।
3-ज्ञानी को ग्यानी लिखा है।
4-हम क्या हैं? लिखने की बजाय हम क्या है? लिखा है।
इसलिए कविता से पहले भाषा तो सीखनी ही चाहिए। आपने लिखा है -वह हिन्दी का संतान कहाँ ? सही बात है जब कोई हिंदी को विकृत रूप में लिखे तो उसे क्या कहेंगे। -
विकास जी आपके पास शब्द तो है मुझे लगता है है टाइपिंग में दिक्कत हो रही है आप voise टाइप कर एक बार देख सकते सकते हैं आप अच्छा कर सकते हैं इसमें कोई dought नहीं
दोस्त लगे रहो
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विकास कुमार commented on the post, गाँव मातृ-पिता समाज से बना ।। 6 months, 4 weeks ago
जो व्यकित खूद को ग्यानी पंडित कहता है, वह कुछ भी नही है, सिवाय एक अहंकारी व्यक्ति के ।।
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विकास कुमार posted an update 6 months, 4 weeks ago
@astrology दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त,
अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत। -
विकास कुमार commented on the post, ख्याब टूटी, दुनिया लूटी, बिखड़े सभी सहारे । 6 months, 4 weeks ago
दोष पराय देखि के चला हसत-हसत ।
आपन याद न आवे जिसक आदि न अंत ।। -
विकास कुमार commented on the post, गाँव मातृ-पिता समाज से बना ।। 6 months, 4 weeks ago
जय राम जी की ।।
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विकास कुमार commented on the post, गाँव मातृ-पिता समाज से बना ।। 6 months, 4 weeks ago
जब आप एक भौतिक व्यक्ति की निन्दा करते है तो वह व्यक्ति आत्महत्या करने की प्रयास करता है । लेकिन जो व्यक्ति आध्यात्मिक स्तर का होता है, उसे मान-हानि का कोई फर्क ही नहीें पड़ता है सर जी ।।
यह तन है विष की बैलिरी गुरू अमृ़त की खान।
सीख दियो जो गुरू मिले वो भी सस्ता जान ।।
संत कबीर ।। -
विकास कुमार commented on the post, अरमान हमारे 7 months ago
अतिउत्तम
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विकास कुमार wrote a new post, गाँव मातृ-पिता समाज से बना ।। 7 months ago
होत धन के तीन चरणः-
दान प्रथम अतिउत्तम है ।
द्वितीय भोग स्वयं बचाव है ।
विनाश तृतीय चरण है ।
होत धन के तीन चरण ।।
यदि धन का व्यय मौलिक आवश्यकता पर हो,तो यह मार्ग अतिउत्तम है ।
और यदि धन का मालिक […]-
विकास जी एक साथ इतनी सारी और इतनी बड़ी बड़ी कवितायें डालकर इस मंच को भर देने की बजाय, कुछ अध्ययन में समय लगाओ प्लीज, आप बहुत अशुद्धियाँ लिख रहे हैं, कम लिखिए शुद्ध लिखिए,
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हम तो इतना ही कहेंगे कि भले ही आप चार लाइन लिखो लेकिन हिंदी को शुद्ध रूप में लिखो।
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विकास सर आपकी कविता तारीफ़ ए काबिल है। मगर यह प्रयास करे कि, आप जो कुछ भी कहना चाहते हैं ८ या १२ पंक्तियों में ही कहने के प्रयास करे। क्योंकि समय का काफी अभाव है।
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विकास जी यहां पर सभी सदस्य पथ-प्रदर्शक एवं ज्ञानी विद्वान हैं सबकी बातों का अनुसरण करना चाहिए आपको भले थोड़ा लिखो मगर प्रभावमयी एवं शुद्ध लिखे
हमको भी बहुत कुछ सीखना है अभी आप भी सीखें। और गलतियों पर ध्यान दें-
जय राम जी की ।।
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जो व्यकित खूद को ग्यानी पंडित कहता है, वह कुछ भी नही है, सिवाय एक अहंकारी व्यक्ति के ।।
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मक्खी भिन भिन करती थी कानों के पास। कहा बैशाखनन्दन ने क्या, सुन्दर है राग अलाप।।
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जब आप एक भौतिक व्यक्ति की निन्दा करते है तो वह व्यक्ति आत्महत्या करने की प्रयास करता है । लेकिन जो व्यक्ति आध्यात्मिक स्तर का होता है, उसे मान-हानि का कोई फर्क ही नहीें पड़ता है सर जी ।।
यह तन है विष की बैलिरी गुरू अमृ़त की खान।
सीख दियो जो गुरू मिले वो भी सस्ता जान ।।
संत कबीर ।।
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विकास कुमार wrote a new post, प्रभु जी मेरो उध्दार तो करो 7 months ago
प्रभु जी मेरो उध्दार तो करो
जन्म-जन्म की पापीनी मैं
मेरा निस्तार तो करो ।
प्रभु जी मेरो उध्दार तो करो ।।
अहल्या तो तुमने तारा,
ग्यान दियो तुमने तारा को ।
मंदोदरी है भक्त तिहारा । ।
प्रभु जी मेरो निस्ता […] -
विकास कुमार wrote a new post, – मैंने व्यर्थ ही जिन्दगी गँवायो रे! 7 months ago
मैंने व्यर्थ ही जिन्दगी गँवायो रे!
कभी राम नाम लिया तो नहीं ।
मैंने व्यर्थ ही जिन्दगी गँवायो रे!
नर तन लेकर इस जहां में
आया नारायण को पाने को ।
भोग-विलास में रमा रहा ।
याद न आया कभी नारायण को ।। […] -
विकास कुमार wrote a new post, कपड़े बदले, वेश बदला, बदला घर-संसारा । 7 months ago
कपड़े बदले, वेश बदला, बदला घर-संसारा ।
माया-मोह में फँसा रहा तु नर पर बदल सका न अपना व्यवहार ।
रे! क्या-क्या बदला तु इंसान-2
तन को धोया नित-नित दिन तु, पर मन को धोया कभी नहीं
अगर एक बार जो मन धो लो हो जाये त […] -
विकास कुमार wrote a new post, आजा-2 मेरे राम दुलारा ।। 7 months ago
कौसल्या का आँख का तारा, दशरथ राम दुलारा ।
कैकयी सुमित्रा का है तु सबसे प्यारा
आजा-2 मेरे राम दुलारा ।।
उर में तेरा भरत का वासा,
संग में रहते लक्ष्मण न्यारा ।
शत्रुघ्न है तेरा सबसे प्यारा ।
आजा […] -
विकास कुमार wrote a new post, कुछ तो शर्म करो, लाज रखो निज राष्ट्र की 7 months ago
कुछ तो शर्म करो, लाज रखो निज राष्ट्र की
कुछ तो शर्म करो, लाज रखो निज राष्ट्र की
मर्यादा राम की इस भू पे सीता की इस पवित्र जमीं पे
कुछ तो सम्मान करो निज भू की ।
कुछ तो शर्म करो, लाज रखो निज […] -
विकास कुमार wrote a new post, एक शानदार टिप्पणी करने को जी चाहता है । 7 months ago
एक शानदार टिप्पणी करने को जी चाहता है ।
आपकी बातों को जिन्दगी में उतारने को जी चाहता है ।
कमबख्त! जिन्दगी किस रूख पे आकर खड़ी है । उसे लौटाने को जी चाहता है ।
किसी की हँसी को मुहब्बत समझा, उसकी परिणा […] -
विकास कुमार wrote a new post, वह रहने वाली महलों में, मैं लड़का फुटपाथ का । 7 months ago
वह रहने वाली महलों में, मैं लड़का फुटपाथ का ।
उसकी हर एक अदा पे मरना यही मेरा जज्बात था ।
वह रखने वाली टच मोबाईल, मैं लड़का कीपैड वाला ।
उसकी हर एक अदा पे मरना यही मेरा जज्बात था ।
वह पहनने वा […] -
विकास कुमार wrote a new post, ठहरो-ठहरो इनको रोको, ये तो बहसी-दरिन्दें हैं । 7 months ago
ठहरो-ठहरो इनको रोको, ये तो बहसी-दरिन्दें हैं ।
अगर इसे अभी छोड़ डालोगे. तो आगे इसका परिणाम बुरा भुगतोगे ।।
ठहरो-ठहरो इनको रोको, ये तो बहसी-दरिन्दें हैं ।
बहसी-दरिन्दें को बख्सना देश हित में ठीक नहीं,
ये तो सज […] - Load More
👍
Good