Indu
पवन हूँ चंचल
September 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
तूफ़ान तो नहीं हूँ
लेकिन पवन हूँ चंचल
तेरे आसपास चलकर
शीतल करूंगा पल-पल।
संगीतमय करूंगा
कविता से तेरा आँचल
उन्मुक्त खुशियाँ दूंगा
तोडूंगा गम के सांकल।
नारी के सम्मान में
August 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैं
नारी हूँ ,
मैंने ऐसे महापुरुष देखे हैं
नारी के सम्मान में
खुद को युधिष्ठिर
और दूसरों को
दुःसाशन दिखाते देखें हैं।
ज़रा सी बात पर चिढ़ना
August 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
ज़रा सी बात पर चिढ़ना
दूसरों को बुरा कहना
ये आदत छोड़ दो ना जी
उल्टी बात शुरुआत
तुमने ही करी थी ना,
मिला उत्तर तो चिढ बैठे
ये आदत छोड़ दो ना जी
फिर लगाने आग आये
August 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
बात ठंडी हो चुकी थी
फिर लगाने आग आये
सोचते हैं जो कहें हम
सब करें स्वीकार उसको।
दूसरों पर फेंक कीचड़
मत बनो यूँ पाक-साफ़
खुद की गलती देख लो
पहले करो स्वीकार उसको।
पतन
August 17, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
पतन
हाँ पतन
पतन की शुरुआत
कब होती है ,
जब घमंड की
पराकाष्ठा होती है,
जब अपने से
काबिल कोई
नहीं दिखता है
आँख में
पट्टी बंधी होती है।
जब व्यक्ति दूसरे की
गुणवत्ता पर
परोक्ष रूप से
हमला करता है
या करवाता है,
पतन की शुरुआत
तब होती है।
जब व्यक्ति योग्यता से
आगे बढ़ने की बजाय
दूसरों पर तंज कसता है
या कसवाता है,
दूसरे की लोकप्रियता पर
परेशान हो उठता है,
पतन की शुरुआत
तब होती है।