KAVI NAVIN GOUD
श्री कलाम
May 16, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
एक मुक्तक श्री कलाम साहब के लिए –
कोई उस खुदा को जाकर मेरा पैगाम दे दो ,
मेरे देश भारत को तुम उसका ईनाम दे दो !
मेरे मोला मेरे मालिक पर्वर्दीगार-ए-आलम ,
सारे नेता तुम ही रख लो, मुझे मेरा “कलाम” दे दो !
कवी नवीन गौड़ पेटलावद जिला झाबुआ मध्यप्रदेश
संपर्क क्रमांक ९९२१८०३५८०
मैं
March 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैं अल्फ़ाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ,
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ,
कब पूछा मैने की क्यूं दूर हो मुझसे,
मैं दिल रखता हूँ तेरे हलात समझता हूँ…
muktak
March 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
चलो मिलकर प्रेम के कुछ रंग- ो-रस चख लो
हर धर्म की परिभाषा का ये नाम रख लो
गर चाहते हो हिंदुस्तान को खुशहाल देखना तो,
तुम्हारे अल्लाह मुझको दे दो , तुम मेरे राम रख लो
कवी नवीन गौड़ पेटलावद कानाफूसी क्रमांक 9921803580
muktak
June 2, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता
चलो मिलकर प्रेम के कुछ रंग- ो-रस चख लो
हर धर्म की परिभाषा का ये नाम रख लो
गर चाहते हो हिंदुस्तान को खुशहाल देखना तो,
तुम्हारे अल्लाह मुझको दे दो , तुम मेरे राम रख लो
कवी नवीन गौड़ पेटलावद कानाफूसी क्रमांक 9921803580
HOLI SPECIAL BY NAVIN GOUD
March 30, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम संग खेली मैंने सात रंग की होली .
तुम रंगो में नहाई . कि मुझसे भी अठखेली ।
वो लाल रंग सिंदुर का .लगा सिर इतराई .
वो रंग गुलाबी होंठ का . ले तुम मंद मंद मुस्काई।
वो अमृत-सा पानी जो कर रहा मनमानी.
युं भिगोकर चोली अपनी पास मेरे फिर आई।
तुम रंगो में नहाई . कि मुझसे भी अठखेली ।
तुम संग खेली मैंने सात रंग की होली .
तुम रंगो में नहाई . कि मुझसे भी अठखेली ।
कवि नवीन गौड 9921803580
muktak
December 11, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैं एेसे दरिया के किनारे बैढा हुं,
हर घडी जहा से समुन्दर दिखने लगता है।
ये मेरा दिल भी एक जिद्दी बुजुर्ग् जैसा है,
जो रात होते ही किस्से सुनाने लगता है।
आपका अपना कवि नवीन गौड
दिल की बात
December 10, 2015 in शेर-ओ-शायरी
मैं अल्फ़ाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ,
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ,
कब पूछा मैने की क्यूं दूर हो मुझसे,
मैं दिल रखता हूँ तेरे हलात समझता हूँ…!