उन्हें रास नही…

June 19, 2023 in हिन्दी-उर्दू कविता

अब शायद हम उन्हे रास नहीं,
अगर रास है भी तो शायद अब खास नही,
चलो खास भी है,पर शायद हम पास नही…
या फिर दूर हो रहे है हम , उनके पास रह कर भी?!
अच्छा,..
हम दूर हो रहे है है,या फिर हमे वो खुद से कर रहें है दूर?!
और न ही दूर हम हो रहें है, न ही वो कर दूर कर रहें है….
तो अब ये ऐसे फासले क्यूं है?!
हम बात करे या कोशिश करे,वो खामोश ही रहते है,
उनकी अगर खामोशी समझ भी ले हम,
तब भी वो हर वक्त नाराज ही क्यों रहते है?!
याद आती है तो बताते क्यूं नही?
बात करनी है तो करते क्यों नही?
प्यार तो वो करते हैं, ये है हमें मालूम,
फिर वो जताते क्यों नहीं?
क्या इतना गैर कर लिया है उन्होंने खुद को हमसे ,
की बिना पूछे अब उनका कुछ भी उनसे जानने का हक हमें नही?
गलती हमारी है,तो हमें डांट ते क्यों नही?
क्या अब हम उनके हकदार नहीं?
बातें तो कई अरसों से नहीं की उन्होंने हमसे
चलो मान लिए अब हम उनके बातों के साथी नही।।
अब शायद उन्हें हम रास नहीं….