Nitin Mukesh
सत्य की जीत
October 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
दशहरा का तात्पर्य, सदा सत्य की जीत।
गढ़ टूटेगा झूठ का, करें सत्य से प्रीत॥
सच्चाई की राह पर, लाख बिछे हों शूल।
बिना रुके चलते रहें, शूल बनेंगे फूल॥
क्रोध, कपट, कटुता, कलह, चुगली अत्याचार
दगा, द्वेष, अन्याय, छल, रावण का परिवार॥
राम चिरंतन चेतना, राम सनातन सत्य।
रावण वैर-विकार है, रावण है दुष्कृत्य॥
वर्तमान का दशानन, यानी भ्रष्टाचार।
दशहरा पर करें, हम इसका संहार॥
आया दशहरा
October 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
विजय सत्य की हुई हमेशा,
हारी सदा बुराई है,
आया पर्व दशहरा कहता
करना सदा भलाई है.
रावण था दंभी अभिमानी,
उसने छल -बल दिखलाया,
बीस भुजा दस सीस कटाये,
अपना कुनबा मरवाया.
अपनी ही करनी से लंका
सोने की जलवाई है.
मन में कोई कहीं बुराई
रावण जैसी नहीं पले,
और अँधेरी वाली चादर
उजियारे को नहीं छले.
जिसने भी अभिमान किया है,
उसने मुँह की खायी है.
आज सभी की यही सोच है,
मेल -जोल खुशहाली हो,
अंधकार मिट जाए सारा,
घर घर में दिवाली हो.
मिली बड़ाई सदा उसी को
जिसने की अच्छाई है.
आ गया पावन दशहरा
October 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
फिर हमें संदेश देने
आ गया पावन दशहरा
संकटों का तम घनेरा
हो न आकुल मन ये तेरा
संकटों के तम छटेंगें
होगा फिर सुंदर सवेरा
धैर्य का तू ले सहारा
द्वेष हो कितना भी गहरा
हो न कलुषित मन यह तेरा
फिर से टूटे दिल मिलेंगें
होगा जब प्रेमी चितेरा
फिर हमें संदेश देने
आ गया पावन दशहरा
बन शमी का पात प्यारा
सत्य हो कितना प्रताड़ित
रूप उसका और निखरे
हो नहीं सकता पराजित
धर्म ने हर बार टेरा
फिर हमें संदेश देने
आ गया पावन दशहरा