Rajeev Ranjan
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Rajeev Ranjan commented on the post, सोंच में बदलाव करें 2 months, 1 week ago
बहुत ही अच्छा है
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Rajeev Ranjan commented on the post, अपनापन 2 months, 1 week ago
अक्सर मिल जाती सफलता
जब उम्मीद नहीं होती
आशा कर नाहक ही
दुखी हो जाते हैं हम -
Rajeev Ranjan commented on the post, तोहमत 2 months, 1 week ago
गजब
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Rajeev Ranjan commented on the post, धून्ध है चारों तरफ़ 2 months, 1 week ago
करता की जगह क्या
और जाने की जगह छाने होगा
सुमनजी बहुत सुंदर लिखा आपने -
Rajeev Ranjan commented on the post, धून्ध है चारों तरफ़ 2 months, 1 week ago
जाने की सोचना ही करता जब दिवाली आने को हो
अंधेरे की उम्र अब खत्म
उजाला चहुंओर जाने को हो
राहें कहां कभी भी बंद होती है
कुछ कदम हिम्मत करें तो
सौ नयी राह खुलती है -
Rajeev Ranjan commented on the post, माटी के दीपक 2 months, 1 week ago
बहुत सुंदर अनु जी
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Rajeev Ranjan wrote a new post, दीप जलाओ 2 months, 1 week ago
दीप जलाओ और बस दीप ही जलाओ
पटाखे जलाकर प्रकृति को मत चिढ़ाओमन के अँधेरे को मिटाकर समझ का दीपक जलाना
मकसद यही है दिवाली का जीवन को रौशनमय बनाना
शांत करता वातावरण स्वच्छ होता जाता मानस मन […] -
Rajeev Ranjan commented on the post, दुनियां की पुरानी आदत है 2 months, 2 weeks ago
सभी को धन्यवाद
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Rajeev Ranjan commented on the post, *प्रतीक्षा में पिया की* 2 months, 2 weeks ago
बहुत सुंदर गीता जी।
यूं ही प्रकृति प्रेमी बनी रहिए
अपनी कविता से आनंद विखेरते रहिए -
Rajeev Ranjan commented on the post, अश्क मेरे 2 months, 2 weeks ago
अश्क ने जोड़ा हमेशा
छूटे को अपना बनाया है
टूटे तन की पीड़ हरकर
मन का बोझ मिटाया हैबहुत सुंदर अनु जी।
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Rajeev Ranjan wrote a new post, ये कैसी मानव जाति है 2 months, 2 weeks ago
अच्छाईं भाती है फिर भी
जुबां गलत बोल जाती है
ये कैसी मानव जाति हैसामान तो हरदम है पास
जब हो कुछ बहुत खास
तभी तो जरूरत आती हैअंतर तो सर झुकाता है
बाहर कुछ और दिखाता है
सरलता को क्यूं छुपाती है […]-
मानव जाति के मनोभावों को व्यक्त करती हुई बहुत सुंदर रचना
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अतिसुंदर भाव
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Nice
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सॉइकोलॉजिकल फैक्ट है सर…
मानव विभिन्न मानवी आचरण करता है..एक व्यक्ति के अलग-अलग
चेहरे एवं व्यवहार में समयानुकूल परिवर्तन देखा जाता है क्योंकि
मानव का व्यवहार संवेगों से नियन्त्रित होता है जो संवेग प्रबल मानव व्यवहार भी वैसा ही करता है…
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Rajeev Ranjan commented on the post, खुदा का फरमान 2 months, 2 weeks ago
दिल का पंक्षी गुलाम हो चुका है”
ज्यादा। अच्छा जंचता।
बहुत सुंदर -
Rajeev Ranjan wrote a new post, हे प्रभु प्रीतम 2 months, 2 weeks ago
मार्गदर्शन से तेरे
होते सब काम
हो जब थकान
तुझ में विश्राम
हे प्रभु प्रीतम
हे दया निधान
आनंदित रहूं सदा
करूं तेरा ध्यान
सुबह रहे तेरा नमन
कर्म हो तेरा सिमरन
तुझ से विलग हो सिहरन
सदा रहो देव मुझे स्मरण
र […] -
Rajeev Ranjan wrote a new post, इक हद होती है 2 months, 2 weeks ago
हर बात की आखिर
इक हद होती हैसच लगता था कभी
झूठ आज साबित हुआ
अँधेरे में थी जिंदगी
उजाले पर काबिज हुआभविष्य देखने का दावा
अब तो खोखला पड़ा
जिसकी हथेली थी खाली
वो ही सिंघाशन चढ़ा […]-
अतिसुंदर भाव
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बहुत खूबसूरत पंक्तियां
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यथार्थ प्रस्तुत करते हुए
जिस प्रकार आपने समसामयिक शासन
का व्याख्यान किया और
प्रधानमंत्री जी की अच्छाईयों को गिनाया है आपका देश प्रेम दर्शाती है और साहित्य सृजन करने की आपमें असीम क्षमता है.. -
शासन व्यवस्था का समसामयिक यथार्थ चित्रण प्रस्तुत किया है, राजीव जी आपने अपनी कविता में, शब्दावली भी सुंदर है । देश भक्ति की भावना को दर्शाती हुई बेहद खूबसूरत रचना ।
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Nice
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Rajeev Ranjan commented on the post, *जयमाला की बेला* 2 months, 2 weeks ago
आपका भी
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Rajeev Ranjan commented on the post, *जयमाला की बेला* 2 months, 2 weeks ago
दबाई गई चिंगारी अक्सर
ज्वालामुखी बन जाती है
छिप छिपकर टालते जाना
अन्यायी का हौसला बढ़ाती है -
Rajeev Ranjan wrote a new post, दुनियां की पुरानी आदत है 2 months, 2 weeks ago
नन्हीं कलियों से आस लगाना
दुनियां की पुरानी आदत हैतनहा मुंह मियां मिट्ठू रहकर
खुशफहमी पालना आदत है
संगत से खुद को बचाते जाना
इंसानों की अब तो फितरत हैकंधा से कंधा मिलाते थे जो
अकेलेपन […] -
Rajeev Ranjan commented on the post, दोस्ती का नियम 3 months ago
आप जैसे संवेदनशील दोस्त कम हैं
स्वार्थ के कारण सारे दोस्त विलग हैं -
Rajeev Ranjan commented on the post, *दोस्ती* 3 months ago
बहुत अच्छा गीता जी
गंभीरता के बीच चटपटी गुदगुदाती रचना -
Rajeev Ranjan wrote a new post, बंजर पे बसेगी फिर बहार 3 months ago
बे-कार हूं बे-रोजगार नहीं
आदतों का शिकार नहीं
शौक से नहीं परहेज मुझे
तेरी तरह शौक का गुलाम नहींइक सुई का किया आविष्कार नहीं
उसे हर नई खोज की दरकार है
मेरी जरूरतों का है ईल्म मुझे
तेरी तरह दुष्-स्पर्धा क […] - Load More
सुन्दर
अतिसुंदर भाव
Beautiful poem