नन्हा फूल

May 2, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

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फूल खिलते रहेंगे

यह सोचकर खुश था मगर

दुख इस बात का, कि

रौंदी जा रही मासूम कलियाँ

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अमर शहीद

May 2, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

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अन्याय हुआ शोले उठे

अब सभी शोर रूक जाएँगे

सात दशक आजादी के जैसे

फिर बहार चमन में आएँगे

शहीद हुए जो मातृभूमि पर

यही शब्द रह जाएँगे

वतन पर मिटने वालों के

बस, यही निशाँ कहलाएँगे

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आखिर क्यों

May 2, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

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बढ़ रहे बलात्कारी

चीख रही भारत की नारी

आज के मायावी राक्षसों से

भगवान भी घबराता है

इसलिए द्रोपदी की लाज बचाने

कोई कृष्ण नहीं आता है

आखिर ऐसा क्यों होता है ?

सरकार आँख मूंद क्यों सोता है ?

बेगुनाह का कद जैसे आज

बौना नजर आता है

इस आजाद देश में गुनहगार

हर रोज बच जाता है

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कारगिल

May 2, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

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ललकार हमें न ए जालिम

अब हमें नहीं सहना है

खबरदार ए सरहद पार

कश्मीर हमारा अपना है

मत दोहरा इतिहास भूल से

इतिहास नया बना के देख

यारी को उत्सुक ये धरती

हाथ जरा बढ़ा के देख

अमन-चैन का सबक सीख ले

वरना तू पछताएगा

कसम हमें है इस मिट्टी की

तू मिट्टी में मिल जाएगा

कारगिल के जर्रे-जर्रे से

यही आवाजें आती है

दुश्मन देश संभल जा वरना

बस, एक निशाना काफी है

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” एका त्योहार “

May 2, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

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दीवाली सा हर दिन लगे

दशहरे सी रात

होली जैसी दोपहरी

हो रोज खुशी की बात

पर, आज दीया जले आगजनी सा

रामराज में रावण पलता

गुलाल में है बारूद का असर

घड़ी-घड़ी अन्याय क्यों बढ़ता ?

हम सब ऐसा कदम उठाएँ

अब “एका त्योहार” मनाएँ

अन्याय जहां टिक न पाए

ऐसा एक नवभारत बनाएँ

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“मजदूर”

May 2, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

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अपनी सांसों में उर्जा भरकर

निर्माण जो करता नवयुग का

औरों को सुख-सुविधा देकर

करे सामना हर दुख का

जो रूके अगर, रूक जाए दुनियां

सारे जग का रीढ़ वही

जोश, लगन, संकल्प है जिनमें

फुरसत में आराम नहीं

हिम्मत जिनकी शान है यारों

मेहनत जिनकी है पूजा

कर्तव्य निभाना लक्ष्य है जिनका

मजदूर है वो, कोई और न दूजा

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साथी चल

April 23, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

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साथी चल कुछ कर दिखलाएँ

अमन- चैन के गीत सुनाएँ

शोषण, घुसखोरी, गद्दारी

अन्याय, अनाचार, भ्रष्टाचारी

गली-गली नफरत का जहर

द्वार-द्वार मच रहा कहर

मिलकर आओ दूर भगाएँ

साथी चल कुछ कर दिखलाएँ

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