by Ram

गुरु Google है सबसे महान

July 28, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मार्गदर्शन तुम्हारा सब follow करें, हर समस्या में ध्यान तुम्हारा धरे।

भागने की जरूरत नहीं है कहीं, सारी knowledge ले सकते हो घर बैठे ही।

बस मन से धरो इनका ध्यान, गुरु google है सबसे महान।।

 

हो चिंतित ग़र जाना है अनजानी गली?, MAP आएगा काम ऐसी मुश्किल घड़ी।

सर्वसम्पन्न हैं ये निपुण हर कला में, मुक्त करते हमेशा ये दुष्कर बला से।

एक क्षण नहीं करते आराम, गुरु google है सबसे महान।।

 

हैं बहुत रूप इनके पर उद्देश्य एक ही, करे हर दम मदद और ना बघारें ये शेखी।

Drive, Photos, Blogger कभी Gmail बनके, कभी YouTube बनके मनोरंजन करते।

इनके गुण गाता सारा जहां, गुरु google है सबसे महान।।

 

इनका ना आदि है ना कोई अंत है, इनकी knowledge की सीमा भी बेअन्त है।

हर किसी के प्रति इनकी निष्ठा समान है, पक्षपाती नहीं ये इसलिए तो महान हैं।

और क्या-क्या करूँ मैं बखान, गुरु google हैं सबसे महान।।

by Ram

जब मैंने पूछा

June 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब मैंने पूछा –
आज तुम्हारा बदन इतना मैला क्यों है
क्यों हो तुम इतने गुस्से में, क्या कोई संताप है?
उसने घूर कर देखा मुझे, और कहा आज कल तबीयत थोड़ा खराब है.
ये सब तुम्हीं लोगों का किया धरा है, और पूछते हो, मुझे कोई संताप है?
तुम करते धरती को गन्दा, जैसे सब कुछ तुम्हारे ही हाथ है।

कहते कहते वह रोने सा लगा और बोला –
हो जाओगे खाक सब, ग़र मैं नहीं होऊंगा
क्या तुम्हारे नाश से, मैं चैन से सोऊंगा?
मत करो दूषित मुझे, मैं ही तुम्हारा प्राण हूँ
इस धरा पर हर जीव में, शक्ति का संचार हूँ

by Ram

है अभी तूफान गर मेरी सफलता के पथ पर

April 9, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

है अभी तूफान गर मेरी सफलता के पथ पर
पर अब नहीं रुक सकता मैं जो हो चुका हूँ अग्रसर
हूँ पथिक ऐसा जो नहीं रुक सकता ऐसे हारकर
अंधेरी रात है तो क्या हुआ सुबह भी होगी मगर
माँ बाप को है गर्व मेरे होने के एहसास पर
मुझसे कहीं ज्यादा भरोसा है उन्हें मेरी जीत पर
कर नहीं सकता हूँ टुकड़े उनकी आशाओं का मैं
अब करना तूफानों से दो-दो हाथ है डटकर

~राम शुक्ला
कटरा बाज़ार, गोंडा उत्तर प्रदेश

by Ram

सर्दी गर्मी या वर्षा हो, चाहे अमावस रात हो

April 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सर्दी गर्मी या वर्षा हो, चाहे अमावस रात हो
हैं अडिग हर तूफानों में, चाहे पौष की ठंडी रात हो
खड़े रहते हैं सरहद पर, चाहे गोली की बौछार हो
मौत से होता है मिलन यूँ, कि जैसे गले का हार हो
दुश्मनों के दल में जब वो, तांडव करते हैं
हों सैकड़ों महाकाल वो, ऐसे लगते हैं
कितना दुर्गम रास्ता हो, वो नहीं डरते हैं
हैं नजर से पारखी वो, दुश्मनों पे नजर रखते हैं
वो राम राज्य लाने को, रहते हैं सदा उतावले
पर निज स्वारथ के कारण, नहीं चाहते कुछ अंदर वाले

~Ram Shukla
कटरा बाजार, गोंडा उत्तर प्रदेश

by Ram

छलावा

January 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

संवेदनाएँ भी अपना अस्तित्व भूल गई हैं,
शायद वेदनाएँ मुखौटा पहन कर मिली होंगी उनसे।

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