Tanya Sharma
एक पंछी
June 19, 2023 in हिन्दी-उर्दू कविता
पिंजरे में कैद एक पंछी हूँ मैं,
माना कि बंद हूँ पर एक जीव हूँ मैं,
है मुझमे भी सांसें और दिल फिर क्यों नहीं मिलती मुझे मेरी मंजिल,
वो नीले अम्बर में उड़ना मुझे भी पसंद है,
यू पंखों को फैलाकर हर जगह घूमना मुझे भी पसंद है,
बैठी हूँ इस आस में कि कब खुले वो दरवाजा,
पर फिर लगता है यही मेरी तकदीर है,
बच्चों को रास आए ऐसा खिलौना हूँ मैं,
जब-जब सोचती हूँ आज़ाद होने का ,
फिर याद आता है पिंजरे में कैद एक पंछी हूँ मैं।