Vanshika Yadav
किसान आंदोलन
February 20, 2021 in Poetry on Picture Contest
जिस बंदे ने तुम्हारी परोसी थाली है,
पर मजबूरन आज उसी की थाली खाली है।
और समझो धूप बरसात गर्मी -ठण्डी उन दताओ की
वरना राजनीति के चेहरे पर कालिख है।
कल जो बादल वर्षा करते रहते थे
कल तक जो तुमको थाली परसा करते थे
वो आज गरज-बरस कर राजनीति पर आये है
समझो तुम राजनेताओं तुम पर काले साये है।
Kisan aandolan
February 20, 2021 in Poetry on Picture Contest
उसके खून से धरती माँ की चुनर लाल है,
उस अन्नदाता से ही माँ के लाल लाल है।
देखो आज माँ के कुछ लालो ने क्या हाल किया,
कुछ लोगो से ही मेरा अन्नदाता आज बेहाल है।