Vikram Kumar
बिहार की राजनीति
February 17, 2024 in हिन्दी-उर्दू कविता
अब बिहार में राजनीति का रहा न कोई जोड़
फिर से भागे चाचाजी एक बार भतीजा छोड़
बड़ी -बडी़ बातें करते थे बड़े – बड़े थे दावे
कुर्सी के लालच में आकर देने लगे छलावे
ऊंचे – ऊंचे ख्वाब दिखाकर उनको डाला तोड़
फिर से भागे चाचाजी एक बार भतीजा छोड़
माटी में मिलने की बातें करते थे जो राजा
उनकी खातिर खुलता देखा बंद पड़ा दरवाजा
आज गले मिलते हैं शत्रु कल तक थे घनघोर
फिर से भागे चाचाजी एक बार भतीजा छोड़
राजनीति में कोई भी नीति रही नहीं अब सच में
जो भी चाहो कदम उठाओ सत्ता के लालच में
जिस रस्ते पर स्वार्थ सिद्ध हो गाड़ी को लो मोड़
फिर से भागे चाचाजी एक बार भतीजा छोड़
ख़ुद की बडा़ई करते थे वे चौड़ी करके छाती
बेरोज़गारी की चिंता न गिन ली पूरी जाति
शराबबंदी भी सफल नहीं है झूठा है सब शोर
फिर से भागे चाचाजी एक बार भतीजा छोड़
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली
इसरो वालों बहुत बधाई
August 24, 2023 in हिन्दी-उर्दू कविता
भारत में खुशहाली छाई
इसरो वालों बहुत बधाई
पूरे भारत का अभिमान
आज बना है चंद्रयान
बाधा बनी नहीं ऊंचाई
इसरो वालों बहुत बधाई
चांद पर ऐसे दिया है दस्तक
ऊंचा हुआ है सबका मस्तक
जग को अपनी शक्ति दिखाई
इसरो वालों बहुत बधाई
पर्व सा है माहौल हुआ
है गर्व का का ये माहौल हुआ
झंडे फहरे बंटी मिठाई
इसरो वालों बहुत बधाई
बड़ी ये जिम्मेदारी है
पूरा भारत आभारी है
जिम्मेदारी खूब निभाई
इसरो वालों बहुत बधाई
गर्वित स्वर्ग से हुए कलाम
कृतज्ञ राष्ट्र का तुम्हें सलाम
गूंजी जन्नत में शहनाई
इसरो वालों बहुत बधाई
पूरी सबकी कर दी आस
शब्द नहीं है किसी के पास
कि किन शब्दों में करें बडा़ई
इसरो वालों बहुत बधाई
फिर सिद्ध हुआ है वही नाता
है विश्व गुरु भारत माता
महिमा पूरे जग ने गाई
इसरो वालों बहुत बधाई
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली