O nil gagan ke saudagar
ओ नील गगन के सौदागर,,
हवा में उड़ना तेरी फितरत है,
मुझे भी अपनी पंख दे दे पंछी ,
मैं भी ऊरु उस नील गगन में,
उड़ कर उस नभ को छू लूं ,
क्या जानू वह कैसा है ?
तू ही बता दे पंछी ,
बादल सच में पास से कैसा है ?
ओ नील गगन के सौदागर ,
हवा में उड़ना तेरी फितरत है,
इच्छा होती सूरज देखूं चंदा देखू,
तारे और सितारे देखू,
मैं भी उरू उस नील गगन में ,
उडकर उस नभ को छू लूं ,
क्या जानू वह कैसा है?
तू ही बता दे पंछी ,
सारे नजारे सच में पास से कैसा है?
सुंदर रचना
Thanks
वाह
Thanks
Nice
Thanks