Sawan
वक्त बदला हे के नही सावान अक्सर जांचता है।
फूलों से अपना स्वागत आन शान से करवाता है।
तैयार होते है झूले सावान का सिंघासन बनने के लिए।
बादल गरजते है जोरो से अपनी हाजरी सावान को देते हुए।
हवाएं बताती है उसे सुने अनसुने दिलों के पैगाम।
गीत गाते है पंछी इस त्यौहार को करते हुए अपने नाम।
राधा कृष्ण के मिलन का मीठा इशारा आया है।
मुस्कुराते चेहरा का बुलावा है सावान को,
जो सावान दबे पांव फिर आया है।
Responses