Wo din ab dur nahi
वो दिन अब दूर नहीं जब,
होगा चांद हमारी मुट्ठी में,
तो क्या हुआ जब रह गया
फासला थोड़ी दूरी का,
हौसला तो अभी बाकी है,
मंजिल भी पा लेंगे हम,
कल का सपना देख रहे हम.
जब चांद पर होगा अपना यान,
वो दिन अब दूर नहीं जब,
शैर को जाएंगे चांद पर हम,
होगा हमारा भी घर वहां,
दुनिया करेगी हमें सलाम |
Nice
Thanks
वाह बहुत सुंदर रचना
Thanks
Good
Thanks
वाह बहुत सुंदर
Thanks
Bahoot khub h
Thanks
Very nice
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Wah
Superb