Wo thithuran ki rat
फिर आई वो ठिठुरन की रात,
वो कुहासो भरा सवेरा,
वो सिली सिली ठंड की रात,
फिर आई वो याद गरम गरम
चाय की चुस्की वाला सवेरा,
तेरा मुझे चिढाना,
और रूठना मेरा,
फिर तेरा मुझे मनाना,
वो मखमली धूप में बैठना,
और बैठे रहना,
फिर तेरी यादो के सपने बुनना,
वो गेंदे का खिलना,
और गुलाब की कलियों का झूमना,
खिली खिली धूप में चंपा का झूमना,
ठंडी रात मे रजाई में घुसना,
फिर उससे न निकलने का मन होना,
हरी हरी घास पर ओस
की बूंदों का शीशे सा चमकना,
साल स्वेटर से खुद को ढकना,
और मुंह से भाप निकलना,
फिर आई वो ठिठुरन की रात |
सुंदर
Thanks
Ati uttam
Thanks
Nice
सुंदर भाव
Wah