Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: kavita

Panna
Panna.....Ek Khayal...Pathraya Sa!
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
आज़ाद हिंद
सम्पूर्ण ब्रहमण्ड भीतर विराजत ! अनेक खंड , चंद्रमा तरेगन !! सूर्य व अनेक उपागम् , ! किंतु मुख्य नॅव खण्डो !! मे पृथ्वी…
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बेहतरीन अल्फ़ाज …….पन्ना भाई
thanks bhai
छोड कर खारी लकीरे,
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न जाने कहां गुम जो जाते है
अश्क बेपरवाह बहे जाते है
बेहतरीन