Categories: मुक्तक
Related Articles
लोकतंत्र की जन्मस्थली
लोकतंत्र की जन्मस्थली, लक्ष्वीगणतंत्र जहाँ थी बसी, प्रलोभन नहीं जहाँ बस काम, विकास, आत्मसम्मान की, विजयगाथा पुनः सुनने को मिली।। जहाँ फिर से कर्मयोगी की…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
“भगवान बताएं कैसे :भाग-1”
कहते हैं कि ईश्वर ,जो कि त्रिगुणातित है, अपने मूलस्व रूप में आनंद हीं है, इसीलिए तो उसे सदचित्तानंद के नाम से भी जाना जाता…
कृष्ण दीवानी
तोसे प्रीत लगाई कान्हा रे! जोगन बन आई कान्हा रे। तोसे प्रीत लगाई कान्हा रे। १. लाख विनती कर हारी, राधा तेरी दीवानी, तेरे दरस…
Good
Thank u
Welcome
Sunder
Thanks
Nice
बहुत खूब
Good
सुन्दर रचना
Best
बहुत खूब