ओ! कविता के सृजनकर्ता

ओ! कविता के सृजनकर्ता, उठा कलम व जोश जगा।
घिर से गए निराशा में जो, उनकी चिंता दूर भगा।
यदि लिखना तू बंद करेगा, कैसे लहर चलाएगा
डगमग पग धरते तरुण को, कैसे राह दिखाएगा।
चुप रह कर तू तंगहाल को, स्वर कैसे दे पाएगा,
दर्द ठिठुरते बच्चों का तू, नहीं तो कौन कहेगा।
तू अब तक पथप्रदर्शक बन, समझाता आया है,
तूने ही दुख-दर्द सभी का, कविता में गाया है।
जीवन का उल्लास और दुख, लिखना अब भी शेष है,
कलम उठा ले सृजन कर ले, लक्ष्य अभी भी शेष है।
——– सतीश चंद्र पाण्डेय,

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Responses

  1. कवि सतीश जी की कविता लिखने की प्रेरणा देती हुई
    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति

    1. बहुत धन्यवाद। कवि को अपनी संवेदना जरूर लिखनी ही होगी, संवेदना को कविता में व्यक्त कर कवि को आनंद की अनुभूति होती है।
      स्वान्तः सुखाय तुलसी रघुनाथ गाथा।
      —- आम जीवन का दर्द लिखना ही होगा। कलमकार को रोशनी बिखेरनी ही होगी।
      समीक्षागत टिप्पणी हेतु आपका आभार गीता जी

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