कत्ल कर देना मगर…

मैं सोचती थी तुम
बदल गये हो
नये रंग, नए ढाँचे
में ढल गये हो..
पर ऐसा कुछ भी
नहीं हुआ
तुम जैसे थे वैसे ही हो..

बस कुछ लोग पीठ पीछे
तुम्हारी बुराई किया करते हैं
मेरे पास बैठकर
तुम्हारी बातें किया करते हैं…
दिल ही दिल में
जल जाती हूँ मैं…
तेरी बेवफाई के किस्से
सुनकर मर जाती हूँ मैं…
कसम है तुम्हें
मुझसे बेवफाई मत करना…
चाहें कत्ल कर देना मगर
दिल मत तोड़ना..

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. कवि प्रज्ञा जी की बहुत सुंदर रचना ।वैसे,”सुनी सुनाई पर विश्वास नहीं किया करते”….. बहुत सुंदर प्रस्तुति

New Report

Close