कवि का हाल

कैसे बताएं दर्द का आलम क्या होता है
लिखने के लिए कवी खुद को कितना नोचता है
रचना शुरू होती है कलम की नोक से
और अंत पूर्ण विराम (!)पर होता है.

घिस घिस कर जब कलम को हम
हाल-ए-दिल अपना लिखने लगते हैं
दर्द मुझे होता है और जाने क्यों?
आँसू दूसरों की आंखों से बहने लगते हैं.

हौसला टूटने की बात कहूं तो लोग
सूखी टहनियों की तरह टूट कर बिखरने लगते हैं
टूटते हैं हम आईने की तरह
और लोग टूटे टुकड़ों को समेटने लगते हैं.

जोकर की तरह खुशियाँ बखेर दूँ तो
लोग खिलखिला कर हंसने लगते हैं
उन्हें खुश करने के लिए कलम की नोक तोड़ दूं तो
कवी पैदा होने में कई जमाने लगते हैं.

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