Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: शायरी

UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
आह्ववाहन
देश वासियों जागो, जागो जागो जागो, इतने बलिदानों से आजादी जो पाई, मूल्य उसका पहचानो, जागो,जागो,जागो। बीत गया जो काल कठिन था,। मुश्किल था रहना…
स्वेच्छाकृत प्रदान की गई वस्तु नहीं कहलाते दहेज रे!
स्वेच्छाकृत प्रदान की गई वस्तु नहीं कहलाते दहेज रे! माँग की गई वस्तु ही तो कहलाते है दहेज रे! स्वेच्छाकृत प्रदान की गई वस्तु नहीं…
जागो हे भरतवंशी
जागो हे भरतवंशी अलसाने की बेर नहीं । सहा सबकी साज़िशों को,करना है अब देर नहीं ।। शालीनता की जिनको कदर नहीं,विष के दाँत छिपाये…
true
वाह
Nice