Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है ।
अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है । प्रेम से ही टिकी हुई, धरती, गगन, भुवन है ।। अर्थ जगत का सार…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
साहित्य साहित्य है
साहित्य साहित्य है न हार न जीत है, न जद्दोजहद है, न ही संघर्ष है। न दूसरे पर निशाना है, न कोई बहाना है, साहित्य…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
भोजपूरी लोकगीत (पूर्वी धुन ) – तोहरो संघतिया
भोजपूरी लोकगीत (पूर्वी धुन ) – तोहरो संघतिया याद आवे जब तोहरो संघतिया | करे मनवा तनवा के झकझोर | बिसरे नाही प्रेमवा के बतिया…
Good
Good
Nice
गुड