गुज़र जाता है
जो चाहता नहीं, वही गुज़र जाता है।
रहा – सहा जज़्बात भी मर जाता है।
जिन से थोड़ी बहुत उम्मीद होती है,
वही हम से आंखें फेर जाता है।
जिन्हें सर आंखों पर बिठाना चाहिए,
बेअदबी, उनका ही कुसूर कराता है।
फितरत नहीं, किसी की तौहीन करना,
पर वो काम ही कुछ ऐसे कर जाता है।
या खुदा हो सके तो मुझे माफ करना,
सच्चाई की तरफ मेरा ज़मीर जाता है।
देवेश साखरे ‘देव’
वाह
शुक्रिया
Nice
Thanks
Nice
Thanks
Nice
Thanks
Wah
धन्यवाद
Good
Thanks
आपका हुनर !