Categories: शेर-ओ-शायरी
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मुकाम
साम दाम दण्ड भेद से मुकाम तो पा लोगे। पर आईने में खुद से, क्या नजरें मिला लोगे? काबिलियत कितनी है, गिरेबां में झाँक लो,…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मैं बस्तर हूँ
दुनियाँ का कोई कानून चलता नहीं। रौशनी का दिया कोई जलता नहीं। कोशिशें अमन की दफन हो गयी हर मुद्दे पे बंदूक चलन हो गयी॥…
सम्भाल कर
रक्खे तो हैं कुछ टुकड़े सम्भाल कर, प्यारे से दिल के चन्द हिस्से सम्भाल कर, बनाते थे लोग पल पल बात कई, आज बस छिपा…
वाह वाह, बेहतरीन से भी बेहतरीन
आभार आपका
वाह बहुत खूब
Thanks
वाह बहुत ख़ूब
बहुत उम्दा
सुंदर
क्या कहने।
सुन्दर प्रस्तुति