छिपाना मत

जो भी हो मन में,
देखो कुछ भी छिपाना मत ।
मैं हर भावो को खुद ही समझ जाऊँगा
देखो लोचन पे लाना मत ।
कभी तुमने ही कहा तो था
सच बताने
गर सच बताया तो
दामन छुङाना मत।
कयी गम हैं इन पलकों पर
बताया तो
पलकों को रूलाना मत।
देखो तुम रूठे तो जग रूठा
मैं रूठू , मुझे मनाना मत।

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Responses

    1. सादर धन्यवाद
      समझ में नहीं आ रहा इतनी सारी टिप्पणियों को एक साथ कैसे सहेजू।
      एकबार पुनः आभार ज्ञापित करती हूँ प्रतिमाजी

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