” तलबगार हो गए “

तलब ऐसी उठी दिल से…..

की उन्हीं के तलबगार हो गए….

जमाने की जुबां पर ….

किस्से हमारी मुलाकातों के बार – बार हो गए….

पता कर चुके थे , हैँ उनकी तरकश में इक तीर – ए – मोहब्त …..

और उसी तीर के हम शिकार हो गए….

 

तलब – चाह

तलबगार -चाहने वाला

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

New Report

Close