तुम्हारा प्यार से बोलना अच्छा लगा मुझे
तुमने कहा तो कम से कम
मैं हूँ ना
यही सोंच रही थी मैं
कि कोई है ही नहीं अपना
जो पूंछे हाल हमारा और कहे अपना
लगाई थी आस अपनों से
पर बेगानों ने दर्द बांटा,
तुम नहीं हो अपने
पर फिर भी तुमने हाथ थामा
लगाकर गले से
दी दिल को सांत्वना
थोड़ा आराम आया दिल को मेरे
तुम्हारा प्यार बोलना
अच्छा लगा मुझे…
“लगाई थी आस अपनों सेपर बेगानों ने दर्द बांटा,”
जिसने दर्द बांटा वो बेगाना नहीं है कहीं ना कहीं अपना ही है
बहुत ही प्यार भरी भवाभिव्यक्ति , सुन्दर रचना
जी बिल्कुल सही कहा दी
धन्यवाद आपका सराहना हेतु
अतिसुंदर भाव
धन्यवाद
धन्यवाद