तुम सबला हो

हे अबले ! तुम सबला हो।
तुम हीं शक्ति
तुम हीं भक्ति
तुम मुक्ति अचला हो ।
हे अबले ! तुम सबला हो।।
विद्या बद्धि वाणी तुम हो।
अन्नपूर्णा कल्याणी तुम हो।।
धन दाती माँ कमला हो।
हे अबले! तुम सबला हो।।
धरा रुप धर पालन करती।
गंग तरंग जग पावन करती।।
भगत, जगत सब तेरे
फिर क्यों तू विकला हो।
हे अबले ! तुम सबला हो।।
भूल रही तू निज शक्ति को
किस ममता में पड़कर।
दंभ द्वेष पाखण्ड हरो माँ
जग जननी तू कली बनकर।।
मातृशक्ति भारत की बेटी
तू पूर्वा तुम नवला हो।
हे अबले ! तुम सबला हो।।
वाह
धन्यवाद
पण्डित जी औरऔर भी बहुत रचना है पढ़के टिप्पणी दें
nice
बहुत सुन्दर रचना
Wah
क्या बात है