तेरी खुबसूरती

तेरी कातिल निगाहें देखकर, मैं गज़ल पढ़ दूँ।
तेरी खुबसूरती पर क़सीदे, मैं हर पल गढ़ दूँ।
तेरी खुबसूरती अल्फ़ाज़ों की मोहताज़ नहीं,
गर तू कहे तो, तारीफों के चार चाँद जड़ दूँ।

देवेश साखरे ‘देव’

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ओ माँ कितनो को तुझ पर कविताएं पढ़ते देखा है तेरी तारीफों में कितने कसीदे गढ़ते देखा है, कितनो को शब्दोँ से सिर्फ तुझपर प्यार…

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