Categories: शेर-ओ-शायरी
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मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
रात तूं कहां रह जाती
अकसर ये ख्याल उठते जेहन में रात तूं किधर ठहर जाती पलक बिछाए दिवस तेरे लिए तूं इतनी देर से क्यूं आती।। थक गये सब…
ज्यादा नहीं मुझे तो बस………..
ज्यादा नहीं मुझे तो बस एक सच्चा इंसान बना दे तूँ । एक बार नहीं चाहे हर बार सच में हर बार बना दे…
वृद्धाश्रम
ओ माँ कितनो को तुझ पर कविताएं पढ़ते देखा है तेरी तारीफों में कितने कसीदे गढ़ते देखा है, कितनो को शब्दोँ से सिर्फ तुझपर प्यार…
ब्रह्मचर्य है तो जिन्दगी है
ब्रह्मचर्य है तो जिन्दगी है,अन्यथा जिन्दगी दुःखों का जड़ है । अगर जिन्दगी मौत है तो हाँ मुझे मौत से लड़ना मंजुर है । मौत…
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Bahut khub
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कमाल
शुक्रिया