दिल की बात
दिल का मंदिर वीरान है , तेरी तस्वीर लगा लूँ ,
बैठा रहूँ बस सजदे में , तुझे वो देवता बनल लूँ ,
परवाह नहीं मुझे जग की फिर ,
गर तेरे दिल में जगह बना लूँ ,
ढूंढ ना सके जमाना ख्यालों में भी अपने ,
इस कदर तुझे जहन में बसा लूँ ,
थोड़ा तो ठहर , दस्तक ना दे ,
खुली है खिड़कियां नकाबपोश शरीफों की ,
बस जरा आँख लग जाये सितारों की ,
मैं चाँद को इशारा करके छत पे बुला लूँ ||
गुजर जाएँगी ठंडी रातें , जो लिहाफ बन जाऊँ तेरी सर्दियों का मैं ,
बुझ जाएँगी सूखे होंठों की प्यास , जो बने तू घटा तो बादल भी बन जाऊँ मैं ,
लहराती हुई सी तेरी बदन की लिखावट है ,
उकर जाये जिन खाली पन्नों पे , वो किताब बन जाऊँ मैं ,
वैसे तो जान की दुश्मन है तू , पर तुझे अपनी जान बना लूँ ,
बेशक सवाल बन गयी जिंदगी , तुझे अपना जवाब बना लूँ
चाँद को इशारा करके ………………………..
राज जो दिल में छिपा है , बता दिया इशारे से तो क्या होगा ,
तिरछी नजरो के बहाने ही सही , हो गयी आंखें चार तो क्या होगा ,
तेरे रूमाल के पीछे सैलाब भी आ सकता है ,
अरे हँसते हँसते ही भरी महफ़िल में ,
कर दिया इश्क़ का इज़हार करके रुस्वा तो क्या होगा ,
झंझोड़ कर रख दूँ धड़कनों को , तुझे अपना मोहताज बना दूँ
हो जाऊँ फिर चाहे जहन्नुम का हक़दार , पर तेरी हर रात मैं जन्नत बना दूँ ,
चाँद को इशारा करके …………………………………………
नींदों में चलकर तेरे ख्वाब बन जाऊँ तेरा
एक बार शायर से मोहब्बत तो करके देख ,
कितना जागा हूँ मैं , या कितना जगाया तूने ,
मेरी उन शबों का हिसाब तो लेकर देख ,
हो जायेंगे कंगन भी ढीले
और ढक जाएँगी आँखें हया की चिलमन से
एक बार अपने लबों का रस मुझे पिलाकर तो देख ,
ना कर मजबूर मुझे की तुझ पर बेवफाई का इल्जाम दूँ ,
और इस नहीं की मैं तुझे भूल नहीं सकता ,
बस कहीं से एक शराब की बोतल चुरा लूँ ,
चाँद को इशारा करके…………………………………….
wah bhai
dhanyawad bhai.
आपसे नज़ारे मिलाने को वो तो कब से तैयार बैठे है,,
जाकर चुरा क्यों नहीं लेन उन्हें ,वो तो आपके होने को कबसे बेक़रार बैठे है।।।।
Wahhh…bahut khoob..
इतने करीब आकर कोई सदा (आवाज) दे गया मुझे ,
मैं बुझ रहा था कोई हवा दे गया मुझे।।
Good
सुन्दर रचना