देश दर्शन
शब्दों की सीमा लांघते शिशुपालो को,
कृष्ण का सुदर्शन दिखलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
नारी को अबला समझने वालों को,
मां काली का रणचंडी अवतार
याद दिलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
वचन मर्यादा को शून्य कहने वालो को,
राम का वनवास याद दिलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
प्रेम विरह में मरने वालो को,
गोपियों का विरह बतलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
भक्त की भक्ति को मूर्ख समझने वाले को,
होलिका का अंजाम याद दिलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
भक्ति प्रेम को ज्ञान सिखलाने वालो को,
उद्धव का हाल बताने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
सत्ता को सबकुछ समझने वालो को,
भीष्म का त्याग का याद कराने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
भगवान का पता पहुंचने वालो को,
खंब से प्रगटे नृसिंह दिखलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
माता पिता को बोझ समझने वालो को,
श्रवण कुमार का सेवाभाव दिखलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
गंगा को मैली करने वालो को,
भागीरथ का तप याद कराने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
आजादी को शून्य समझने वालो को,
अनन्त बलिदानों का बोध कराने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
राह भटकते युवाओं को,
राह बतलाने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
कविता पड़ने वालो को ,
मयंक की ‘कलम का प्रणाम’ कराने आया हूं,
मैं देश दिखाने आया हूं।।
🙏🙏✍️✍️मयंक✍️✍️🙏🙏
Nice
बहुत खूब, अतिसुन्दर, आपकी लेखनी यूँ ही प्रकाशमान होती रहे।
बहुत सुंदर रचना।आपकी लेखनी में बहुत क्षमता है।
So well composed
Sunder
सभी का बहुत बहुत आभार 🙏🙏
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
गागर में सागर को चरितार्थ किया है आपने ।
हर पहलू को समेटने का सफल प्रयास ।
बहुत बहुत आभार 🙏🙏🙏