धीरे धीरे चलने से राहे बन जाती है
धीरे धीरे चलने से राहे बन जाती है
छोटी छोटी बातों से यादें बन जाती है
जरा कोशिश तो कर के देख
चंद लफ़्जो ओ अहसासों से नज्म बन जाती है|
धीरे धीरे चलने से राहे बन जाती है
छोटी छोटी बातों से यादें बन जाती है
जरा कोशिश तो कर के देख
चंद लफ़्जो ओ अहसासों से नज्म बन जाती है|
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Bhut khub anjali g
thanks pankaj
Nice
thanks
Aur chhote-chhote bachhon ki chanchalta mein,
Kilkarian ban jati hai… 🙂
hmm..thank you so much
वाह
धीरे धीरे चलने से राहे बन जाती है
छोटी छोटी बातों से यादें बन जाती है
वाह वाह