Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: शायरी
UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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Soch
ये सोच ही है जो जुबान से शब्दों के रूप में कही जाती है ये सोच ही है जो इंसान को एक दूसरे से अलग…
“यही मैं सोच-सोचकर हैरान!!!! “….
ऐक हजारों धरती माता, ऐक ही आसमान, मजहब के झगड़ों में क्यूँ उलझ रहा इंसान, यही मैं सोच -सोचकर हैरान, यही मेै सोच-सोचकर हैरान, भारी…
सोच समझ के बोल
सोच समझ के बोल रे बंदिया सोच समझ के बोल जो तु बोले, तेरा पीछा ना छोड़े मांगे हर अल्फाज़ अपना हिसाब मान-अपमान दिलवाते, दिखलाये…
हलधर धरने पर
हलधर धरने पर रहा, आस लगाये बैठ। मानेगी सरकार कब, सोच रहा है बैठ। सोच रहा है बैठ, मांग पूरी होगी कब। अकड़ ठंड से…
सोंच में बदलाव करें
चलो एक नये कोने की तलाश करें उदासियो को हटा, सोंच में बदलाव करें । खुद को नये सिरे से गढ़े अबतक खुद के लिए…
Good