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Soch

ये सोच ही है जो जुबान से शब्दों के रूप में कही जाती है ये सोच ही है जो इंसान को एक दूसरे से अलग…

सोच समझ के बोल

सोच समझ के बोल रे बंदिया सोच समझ के बोल जो तु बोले, तेरा पीछा ना छोड़े मांगे हर अल्फाज़ अपना हिसाब मान-अपमान दिलवाते, दिखलाये…

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