पहचान

जिंदगी की दौड़ में ना पहचान पाए
अपने और अनजानो को
क्या खाक तजुर्बा पचपन का
जो पहचान ना पाए शैतानों में से इंसानों को.

मोहब्बत अगर किसी से है तुम्हें तो
क्या उसके जज्बात दूर से ही जान लोगे
खुशियों में तो साथ हो सके पर क्या
बारिश में भी उसके आंसू पहचान लोगे.

गरीब जिंदगी के रंगमंच का
सबसे बड़ा खिलाड़ी होता है
पहचान सके तो पहचान कर दिखाओ
जो दर्द पर्दे के पीछे होता है.

नादान होता है आईना सोचता है
उसके अंदर तुम्हारा अक्स छुपा होता है
गलतफहमी यह जानकर टूटती है तब
कि चेहरे के पीछे भी एक चेहरा छुपा होता है.

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