पिया बिना
पिया बिना
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सुनो प्रिय!
मेरा हृदय करे स्पंदन
आंखों से फैला ये अंजन
भूख प्यास सब लगते झूठे
पिया बसंती तुम जो रूठे।
सूखे पत्ते सी में कांपू
तेरे बिना शापित सी नाचू
पल पल तेरी राह निहारु
द्रवित हृदय से तुझे पुकारू।
मरुभूमि सी तपती देह
प्रेम सुधा बरसादे मेंह
तेरे दरस की प्यासी हूं
बिन तेरे महज उदासी हूं।
अंजुरी भर-भर पीना है
हो प्रेम बाबरी जीना है
इस जग में प्रेम का चलन यही
बिन पिया किसी को चैन नहीं।
निमिषा सिंघल
सुंदर
आभार
Good
Thank you
Welcome
Good
Thank you so much
Welcome
बहुत सुंदर