फ़ैशन
फ़ैशन की चरम तो देखो।
लोगों की भरम तो देखो।
कांच की अलमारी में बंद,
ऊँची कीमत बढ़ा रही शान।
तार-तार सा हुआ चिथड़ा,
टंगा बनकर एक परिधान।
उस चिथड़े के करम तो देखो।
फ़ैशन की चरम तो देखो।
लोगों की भरम तो देखो।
जिसे फेंक दिया जाता,
पोंछा भी ना बन पाता।
फ़ैशन की हद तो देखो,
युवा पहन कर इतराता।
फ़ैशन का ज्ञान परम तो देखो।
फ़ैशन की चरम तो देखो।
लोगों की भरम तो देखो।
पश्चिमी हमारी पारंपरिक,
वेषभूषा अपना रहे हैं।
फ़ैशन के नाम पर हम,
किस ओर जा रहे हैं।
संस्कृति और धरम तो देखो।
फ़ैशन की चरम तो देखो।
लोगों की भरम तो देखो।
फटे अर्धनग्न वस्त्र पहन,
शर्म, हया सब त्यागें हैं।
पर याद रहे इसमें भी,
जानवर हमसे आगे हैं।
खोता आँखों से शरम तो देखो।
फ़ैशन की चरम तो देखो।
लोगों की भरम तो देखो।
देवेश साखरे ‘देव’
Nice
Thanks
बहुत खूबसूरात सामयिक रचना
धन्यवाद
वाह बहुत सुंदर
धन्यवाद
Nice
Thanks
nice
Thanks
बेस्ट है
धन्यवाद
कहा है