फूल……, किताब,……. अलमारी…….
फूल……, किताब,……. अलमारी…….
तुमने जो फूल
मुझे दिया था
उसे मैने एक
किताब में रख दिया था
और किताब
अलमारी में रख कर
लगा दिया था ताला।
अब उस ताले की
चाबी खो गई मुझसे
तुम्हारी तरह…।
क्या कंरु
समझ नहीं पा रही¡
ताला तोड़ा गया
तो अलमारी में
जोर की थरथराहट होगी
हो सकता है इससे
सूख चुके फूल की
पत्तियां चटक जाएं
और किताब खोलते ही
सारी पत्तियां बिखर जायें।
नहीं……जब तक तुम
नया फूल लेकर नहीं आते
मैं अलमारी……..बंद रखूंगी।
~~~~~~~~~~~~~सतीश कसेरा
bahut pyaari kavita….thanks for sharing with us!
Thanks Mohit
Unbelievable imagination…
Nice poem
Thanks Amit
Thanks Ankit
Good
Waah waah
Very nice