बचपन के कुछ दिन
फिर से बचपन में लौटना है आज मुझे
कुछ पल फुर्सत के जीना है आज मुझे
मां की गोद में रखकर सिर सोना है आज मुझे
बहन की चोटी खींच आज फिर दौड़ लगाना है
छिपकर पापा के पीछे से उसे चिड़ाना है।
फिर से बचपन में लौटना है आज मुझे
कुछ पल फुर्सत के जीना है आज मुझे
मां की गोद में रखकर सिर सोना है आज मुझे
बहन की चोटी खींच आज फिर दौड़ लगाना है
छिपकर पापा के पीछे से उसे चिड़ाना है।
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मार्मिक रचना
Thanks
वेलकम
Sunder
Thanks
Nyc
Dhanyawaad
Shukriya
Very nice
Dhanyawaad
वाह