घर की कैद
इस घर की कैद ने भी क्या खूब काम किया बिखरी तस्वीरों को करीने से सजा दिया फिर से याद आए वह पुराने साथी कुछ…
इस घर की कैद ने भी क्या खूब काम किया बिखरी तस्वीरों को करीने से सजा दिया फिर से याद आए वह पुराने साथी कुछ…
जब तुझसे मेरी पहली मुलाकात होगी बिना बोले ही आंखों से सब बात होगी बिताकर कुछ पल जिंदगी के साथ तेरे फिर से हमारे प्यार…
चलो दर्द को भूल जाते हैं हंसी की ट्रेन पकड़ कर खुशी के संसार में जाते हैं पुरानी यादों में से ‘कुछ’ को चुनकर फिर…
जब हम साथ होते हैं हाथों में हमारे हाथ होते हैं दुनिया की उलझनों से दूर सिर्फ हम और हमारे जज्बात होते हैं❣️❣️
छोटा सा एहसान कर के लोग ताउम्र जताते हैं कितने मासूम है वह मां-बाप जो सब कुछ करने के बाद भूल जाते हैं….
खुदा के फरिश्ते के रूप में तुम आती हो होठों पर मीठी सी मुस्कान लाती हो अपनी जिजीविषा और कर्मनिष्ठा से टूटी आशा को जगा…
बदले तो वो थे ….. इल्जाम हम पर लगा बैठे हमने तो ख्वाब सजाए थे वो तो उनको ही जला बैठे।
सब कुछ कहां कह पाते हैं कुछ शब्द अधूरे रह जाते हैं कुछ बातें मन में आती हैं कुछ मन में ही रह जाती हैं…
सुनो ना मां! मत घबरा मेरे आने से मुकम्मल हो जाएंगे दोनों एक नए बहाने से तेरे पंख मेरी उड़ान होगी जमाने में अपनी नई…
क्या लिखूं तुझ पर ? तू खुद शब्दों की माया है, खुद ना आ सका विधाता इसलिए तुझे भिजवाया है। Happy mother’s day
देखते देखते हम बदनाम हो गए देखते देखते हम सिरफिरे और नाकाम हो गए, कल कहते थे हम जिंदगी है उनकी आज उनके लिए हम…
वो आकर हमें हमारी कमियां गिना रहे हैं जो खुद उलझे है जिंदगी की उलझनों में वह हमें जीना सिखा रहे हैं…….
मैं खिड़की पर खड़ा था और वह दरवाजे पर खिड़की से दरवाजे कि ये दूरी तब भी थी जब वह मेरे पास आ रही थी…
हां मशगूल हूं अपनी दुनिया में मुझसे बेहतर मुझे कोई जानता नहीं खामोश रहूं? या सवाल करू? मेरे शब्दों को कोई पहचानता नहीं।
आईना नहीं है आंखें मेरी फिर भी हकीकत तो जानती हैं ना तुम राही हो ,ना हमराही हो फिर भी तुम्हें अपना मानती हैं ।
ये खुदा है जनाब ! उसके ही ख्वाब दिखाता है जिसको हमारी किस्मत में नहीं लिखा जाता है।
चलो साथी फिर से गांव चलते है कुछ बचें होंगे पेड़ गर वहां छांव ढूंढते हैं आम भी तो आए होंगे,जामुन भी इतराए होंगे बचपन…
एक सैनिक की यही दास्तां है वैसे तो सदा वह गुमनाम होता है हो जाए शहीद बस तभी नाम होता है देश की रक्षा कर…
किसी को प्यार किसी को प्यार की निशानियां रुला गईं हम मजबूर थे हमें हमारी वफादारियां रुला गईं।
कुछ अल्फाज बचा रखे थे उनके लिए वह आए और बिना बोले चले गए। कुछ नजरें बचा रखी थी उनके लिए वह आए और बिना…
अपनी इस लड़ाई से चाहे खुद लड़ना पड़ जाए अपनी ही परछाई से जब बात प्रतिष्ठा की हो तो हर व्यक्ति का अपना ओहदा है…
मेरे बच्चे साथ निभाओगे गर गुस्सा हो जाऊं किसी बात पर आकर मुझे मनाओगे ? इन सिकुड़न वाले हाथों को क्या प्यार से तुम सहलाओगे?…
बेबस होकर वो लौटे हैं श्रमवीर कहलाने वाले हैं जिस घर में आराम से लेटे हो उसकी नींव बनाने वाले हैं😢 घर मंदिर और कुआं…
अहम तोड़ दो दिल फिर से मिले धड़कनें तेज हुईं आंखों से बरसात हुई ऐसा लगा जैसे फिर से पहली मुलाकात हुई
एक जुनून ही हमें आगे ले जाएगा आगे की कहानी भी वही बताएगा मायूसी जाएगी नई सुबह फिर आएगी सन्नाटा जाएगा कल आज और आज…
विपदा की घड़ी जब आती है हमें व्यवस्थित होना सिखाती है एकता का महत्व समझाती है अपने पराए में भेद बताती है धैर्य परिश्रम सहयोग…
रात की दीवार पर लिखा ख्वाबों का संदेश ए चंदा पहुंचा देना ‘अपने’ रहते परदेस…..
माताओं ने लाल खो दिए बहनों ने फिर भाई, घर में छुपे दुश्मनों से कैसे जीतोगे लड़ाई? नक्सलियों के हमले से धरती लाल हो जाती…
जल खुद एक जीवन है आओ इसे बचाते हैं फिर से भर जाएंगी नदियां आओ कदम उठाते हैं आज ही जब सब खो दोगे तो…
दिल कोई तहखाना है जिसमें दफन हजारों यादें हैं कुछ खट्टी हैं कुछ मीठी हैं बीती शामो की बातें हैं
उनसे बिछड़े जमाना हो गया है फिर से दिल बेगाना हो गया है नहीं बाकी रही ख्वाहिश कोई यही जिंदगी का अफसाना हो गया है।
एकता की खुशबू जब महकती तो सारी दुनिया चहकती है आओ एक काम करें आज का दिन देश के नाम करें।
20 मार्च यानी गौरैया दिवस …. आज तुम्हारा दिवस है प्यारी गौरैया ,कहने को तुम घरेलू चिड़िया कहलाती हो लेकिन स्वार्थी मनुष्यों ने तुम्हें घर…
यह दौर गुजर जाएगा इस वैश्विक आपदा के बावजूद हम इस पर विजय पाने में कामयाब अवश्य होंगे। भरोसा रखिए हमारे डॉक्टर कोविड -19 का…
कुछ साथी साथ निभाएंगे कुछ बीच रास्ते में छोड़ जाएंगे कुछ विश्वास तुम पर दिखाएंगे कुछ हर वक्त नीचा दिखाएंगे ना रुकना ना घबराना बस…
सभी को मयस्सर नहीं जिंदगी की गुलजार शामें किसी को जलते दिनों से भी काम चलाना पड़ता है….
तेरी बातें ही है जो एक उम्मीद से हमें तेरे पास ले आती हैं वरना सुकून -ए -जिंदगी तो हमें अकेले रहने में ही मिलता…
किताब-ए- जिंदगी अपनी लिखी है पेन से हमने जिसे मिटाने की गुंजाइश कहां बख्शी है…
मां देख! पहले गांव छोटे थे अब शहर छोटे हो गए हैं पहले कमरे छोटे थे, अब घर छोटे हो गए हैं सच कहूं !…
भरोसा अपना पर नहीं गैरों पर कर लीजिएगा जनाब “अपने” अपने कहलाने के लायक नहीं है। रूठना है तो खुद मान जाइएगा जनाब यहां कोई…
घुली है हवाओं में खुशबू तेरी शायद तेरे आने का पैगाम लाती है ना ठहरती है ना जाती है शायद दिल तोड़ने का सामान लाती…
माना की नियत के कच्चे हो फिर भी कुछ तो मान करो आते हैं जो मेहमान देश में उनका ना अपमान करो सामान तो पार…
खामोशी भी एक सिलसिला -ए-गुफ्तगू ही है खैर छोड़ो तुम्हारे बस की बात नहीं…….
मेरी नादानियों का सिला यह मिला हमको हम बदनाम हो गए और वह समझदार बने बैठे हैं……
फिर से बचपन में लौटना है आज मुझे कुछ पल फुर्सत के जीना है आज मुझे मां की गोद में रखकर सिर सोना है आज…
तेरी अदा ने हमको दीवाना कर दिया मुझे मेरी ही दुनिया से बेगाना कर दिया आज सोचते हैं कि काश ना मिले होते तुझसे काश…
ढो रही हूं एक बोझ सिर से लेकर पांव तक खोज रही हूं एक दिशा धूप से मैं छांव तक मीलों सा लंबा सफर जिंदगी…
इस मंत्रमुग्ध सी बेला को आओ हसीं बनाते हैं जात धर्म को तज करके हम तिरंगा धारी बन जाते हैं मन में जब कोई मैल…
खामोशी से निकले ही नहीं क्यों निराशशून्य है मन क्या लाई थी जो खोकर के यूं उदासीन है तन पलकों में जो सपने हैं वह…
बैर भाव से ऊपर उठकर आओ रंग लगाते हैं, होली है त्यौहार मिलन का मिलकर इसे मनाते हैं।
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