बचपन
पेट की भूख छुड़ा दिया,
कापी पेंसिल और चाक।
कारखाने में जिंदगी बीता रहा,
किया उम्र अपना अब राख।।
✍महेश गुप्ता जौनपुरी
पेट की भूख छुड़ा दिया,
कापी पेंसिल और चाक।
कारखाने में जिंदगी बीता रहा,
किया उम्र अपना अब राख।।
✍महेश गुप्ता जौनपुरी
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