Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मै ये नहीं कहती हूँ
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कल किसने देखा कल आये या ना आये
कल किसने देखा कल आये या ना आये आज की तू परवाह कर ले कही यह भी चला ना जाये देख परायी चुपड़ी तेरा मन…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
Very nice poem
बहुत धन्यवाद
बहुत अच्छी पंक्तियाँ
सादर धन्यवाद
वाह बाहर बनकर
बहुत सारा धन्यवाद
Sir,You express your feelings very beautifully…..
Very nice…
बहुत बहुत धन्यवाद, आपकी समीक्षा उत्साहवर्धक है। सादर आभार
बहुत खूब
Thank you
अतिसुंदर
सादर धन्यवाद जी