बिट्टू की ब्लैक मेलिंग

बिट्टू लेता था आंखे मींचे,
मैंने सोचा सोया है वो।
मैंने एक सखी को फ़ोन लगाया,
सुबह पति से हुई लड़ाई का सारा वृतांत सुनाया ।
फोन रख के जब मैं पलटी,
बिट्टू मुझको घूर रहा था।
अरे , क्या हुआ तू तो सो रहा था।
बोला, पापा को सब बताऊंगा,
आंटी से क्या – क्या बोला है
सब उनको सुनाऊंगा ।
मैंने कहा, नहीं बेटा चुगली नहीं करते हैं।
तो आप क्या कर रही थी…….
तब से बिट्टू ख़ूब आइसक्रीम,चॉकलेट खाए जा रहा है।
और मेरी बचत के पैसे उड़ाए जा रहा है।

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Responses

  1. हर रिश्ते का तार जुड़ा होता है ट्रांज़िस्टर की तरह
    ट्यून बदलते हीं भाईस बदलते हैं। अतिसुंदर रचना शतप्रतिशत यथार्थ

  2. सीखप्रद अभिव्यक्ति ।
    उपदेश देने से पहले अमल जरूरी है
    सीख और करनी में अभी भी दूरी है ।।

    1. बिल्कुल सही जा रही हैं सुमन जी,यही संदेश देने के लिए ये रचना रची है। सही पकड़ी हो। कवयित्री की कल्पना की तह तक जाने,और उसकी मंशा समझने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी 🙏

    1. बहुत बहुत धन्यवाद पीयूष जी. आपने कविता को एन्जॉय किया🙏
      इसीलिए और रचना रचने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।

  3. हास्य रस से परिपूर्ण कविता का कथ्य आरंभ से अंत तक पाठक को बांधे रखने में सक्षम है। हास्य कविता के क्षेत्र में भी आप अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कर रही हैं। हास्य लिख पाना सरल नहीं होता है, लेकिन आपने जिस बेबाकी से लिखा है वह निश्चय ही काबिलेतारीफ है।

  4. थैंक यू सर,आपने इसे समझा कि ये एक हास्य रचना है।मैने एक छोटी सी कोशिश की थी हास्य रचना के लिए किंतु मुझे बहुत मायूसी हुई , किसी ने भी इसे हास्य के रूप में नहीं अपनाया।मुझे लगा मेरा प्रयास विफल गया।
    कुछ ने तो मुझे सीख तक दे डाली।अब ख़ुशी हो रही है कि आगे भी हास्य के लिए प्रयास कर सकती हूं। मैं तो माहौल को थोड़ा हल्का,फुल्का करना चाहती थीं बस।……
    ……
    आपकी समीक्षा के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।मेरी कविता के भावों को समझने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद एवम् आभार 🙏🙏

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