बीत चुके हैं बरसों जिनको
बीत चुके हैं बरसों जिनको
क्यों पल वोह याद दिलाते हो
किए गहरे दफन जो जग जग रातों
क्यों उनकी अब कब्रे खुदवाते हो
…… यूई
बीत चुके हैं बरसों जिनको
क्यों पल वोह याद दिलाते हो
किए गहरे दफन जो जग जग रातों
क्यों उनकी अब कब्रे खुदवाते हो
…… यूई
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बहुत सुंदर
सुन्दर
Beautiful poetry