बे-वफा
उनके मस्त अदाओं के जाल में,हम गिरफ्तार हो गए।
जुस्तजू के मेले में हमारी मुकद्दर, हम से ही खफ़ा हो गए।।
वफा से बे -वफा बनेंगे वो , हमने ऐसा सोचा ही कब था ।
हम तो बस उनके लिए छोटा सा महल बनाने में लग गए।।
बने थे कभी वो मेरे दोस्त, मेरे हमदम, मेरे इब्तिदा ।
उनके मुस्कान को हम इश्क़ के सिलसिला समझने लग गए।।
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - April 25, 2020, 9:05 pm
Nice
Dhruv kumar - April 26, 2020, 6:23 am
Nyc
Abhishek kumar - May 10, 2020, 10:25 pm
Good
Satish Pandey - July 12, 2020, 2:34 pm
बहुत सुन्दर