Categories: मुक्तक
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मैं छत्तीसगढ़ बोल रहा हूँ
मै चंदुलाल का तन हूँ। मैं खुब चंद का मन हूँ। मैं गुरु घांसी का धर्मक्षेत्र हूँ। मैं मिनी माता का कर्म क्षेत्र हूँ।। मैं…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
अजगर
दसो दिशाओ मे बड़े बड़े मोटे मोटे अजगर पड़े हैं तैयार उत्सुक हैं निगल जाने को संसार वो हमारे पास भी आते हैं और कभी…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
जब श्रीमतीजी अफसर बनी
जब श्रीमतीजी अफसर बनी तो , हमारी ख़ुशी हो गई दो गुनी , हमने सोचा इसके दो दो लाभ होंगे, एक तो बढेगा रुवाब हमारा,…
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