मजहब का पहरी
वाह भाई मजहब के ठेकेदारों
क्या खूबी फर्ज निभाया है
दुश्मन लगी है मानव जाति
और काल को मित्र बनाया है
कभी उनकी फिक्र भी कर लेता
जिसे तेरी फिक्र सताती है
कहीं कोई खड़ा चौराहों पर
कहीं जान किसी की जाती है
ऐसे ना बच पाएगा तू
कोरोना कि इस बाढ़ में
कब तक पाखंड रच आएगा तू
यू मजहब की आड़ में
इस पूरे देश की कोशिश को
कुछ पल में यूं ना काम किया
सच बोल यह तेरी गलती थी
या गद्दारी का काम किया
तूने भारत को दर्द दिया
तेरे सारे राज उजागर हैं
सच बोल तेरी नादानी थी
या भारत का सौदागर है
Good
Thankyou
Good
Thankyou
Nice
🙏🙏🙏
Nyc
Thankyou