पूर्णिमा
पूर्णिमा जब चांदनी धरती पर आकर पसारती है लगे चांदी के आभूषण से धरती का रूप सवारती है मां के पास आंगन में सोए नन्हे…
पूर्णिमा जब चांदनी धरती पर आकर पसारती है लगे चांदी के आभूषण से धरती का रूप सवारती है मां के पास आंगन में सोए नन्हे…
बेजान नजरे जा टिकी थी उसके चेहरे पर जब जिस्म से जान ये जुदा हो गई तड़प रहे थे हम मरने के बाद भी यह…
यूं ही नहीं चीर रहे हवाओं को जहाज हिंद के पाक की नापाक आंखों की तकरार जांचने बैठे हैं हम चीन की छोटी आंखों की…
मेरे देश पर भ्रष्टाचार की तलवार तो कुछ ऐसे पड़े थाली में भोजन से ज्यादा अब चमचे हिस्सा लेने खड़ी
🌹🌹आते रहा करो हुकुम है हजूर का🌹🌹 अब कैसे कहें मिलने को हम खुद भी तरसते रहते हैं
अनजाने में इश्क का गुनाह कर दिया बंदिशों से खुद को रिहा कर दिया पाक रूह कहकर कभी सजदा करने वाले अब कहते हैं मोहब्बत…
हम बेकार में ही परेशान हो गए उनकी नजर अंदाजी से उनकी ख्वाहिश तो हमसे दूर हो हमें अर्श पर पहुंचाने की थी
जहां हवाएं पल-पल बनाएं एक नई तस्वीर उसी आकाश में लिखना चाहूं मैं अपनी तकदीर नन्ही बूंदे नई किरण संग बना रही रंगोली मैं भी…
काली जुल्फे सवारे काला लाए अंधियारे मिले कितहु ना चेन बढ़ रही बिरहा रे काहे रूप को सवारू नैन काजल क्यों बारू रंग तेरा भी…
जिसकी कामयाबी का चर्चा चारों ओर हो गया वह जाने क्यों अब खामोश हो गया जाने कैसा सितम ढाया होगा इस जिंदगी ने उस पर…
इन कलाकारों की दुनिया में जाने कितने ही दुख होते हैं मुस्कान मुखौटा पहन लिया अब भीतर- भीतर रोते हैं
जब कमी हो जाती है अपनों से साथ निभाने में तब दुख के दलदल में डूबे तो मौत ही साथ निभाती है
क्षणभर में क्षीण हो छलकी आंख भारत मां की जब मजदूरों के छाले सीने में लेकर बैठ गई निज संतान का दर्द दिखा तो ऐसी…
तेरी मोक्ष की माया को समझें हम इतने सक्षम नहीं भगवान जब मानव थे तो हमने हरि जब मोक्ष मिला तो हरी में हम
मैं आज जो निकली राहों पर यह राह मुझे बात सुनाती है कहे शर्म तो आती ना होगी मेरा घ्रणा से नाम बुलाती है कहे…
दिल फरेबी का आलम कुछ इस कदर छाया, दिल देकर भी दिलदार गद्दार नजर आया।
हमारा आशियाना एक वादी बन गया है फिलहाल अब घर के सामान हमारे मित्र हो गए एक सुंदर वादियों सी गूंज रही आवाज थी पुन्ह…
वाह भाई मजहब के ठेकेदारों क्या खूबी फर्ज निभाया है दुश्मन लगी है मानव जाति और काल को मित्र बनाया है कभी उनकी फिक्र भी…
कर ले अखंड प्रतिज्ञा तू कर खंड खंड उस दहशत को जिससे यह विश्व है कांप रहा हौसलो से कर तू परस्त उसको तू दूर…
यह प्रकृति तू रोष दिखाती है पर क्या करेगी उस ममता का जो तुझसे खुद लड़ जाती है तूने सोचा दुख दूं उन सबको जो…
रोज-रोज के झंझट में पिस्ता था तो क्या खुश था तू दो घड़ी अपनों का साथ मिला अब कर अनुभव सुख किसने है यह रोज…
मेहनत में जुटे हैं जी जान से हम तो परीक्षा की घड़ी में कहीं और मन ना भटके तर्जनी के छूने से ढहने का डर…
मेहनत का बीज बोकर सब्र की मुंडेर पर खड़े हैं डरते हैं कोई अंधेरी ना आए
कहां रखी है वह किताब जिसमें लिखा है नसीब मेरा मुझे दुख मिटा कर थोड़ी सी खुशी लिखनी है उसमें
बड़ी देर लगा दी कायनात तूने साथ निभाने में अब उम्मीद ही बची है उनके पास आने में
मेरी यह किस्मत मुझे कैसा खेल दिखाती है दहलीज से खुशी हाल पूछ लौट जाती है
एक हुकुम आया मेरे हजूर का घुंघट में छुपा लो अपना चेहरा यह नूर का लगे ना नजर किसी का काफिर की तुमको हिफाजत ना…
नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं होती कायदा कायरों की फितरत नहीं होती जो काफिर आंख दिखाने से मान जाते तो गोली उठाने की जरूरत क्या…
दुनिया से रुखसत होगी मेरी रूह तो हम भी रोएंगे तुम से बिछड़ कर खुदा का भी दिल पिघल जाएगा हमें मिला देगा हमारी तड़प…
लुका छुपी का खेल अब खेला नहीं जाता पछतायेगा जाने के बाद तुम्हें मेरे तेरा सब कुछ जीने का मेरा धेला भी नहीं जाता
सुंदरबन की मोरनी को बादलों की तलाश है आने पर नाचती है बांधकर वह घुंघरू ये जानकर भी बादल दूर है उससे वह खुश है…
मुट्ठी में भर लेती सारे जहां के तारे जलते हुए सूरज की तपन को भी सहते हुकुमत करते हम दुनिया में सारी मोहब्बत की नजर…
मेरी लेखनी कुछ ऐसा कमाल कर दिखा दे इन तीनों दुनिया को एक साथ ला दे करूंगी मैं उम्र भर तेरी जी हजूरी जो मेरे…
तकदीर बनाने वाले ने क्या खूब ही खेल रचाया है इंसान बनाया दुनिया में इंसानियत को कहीं छुपाया है
ऐ मौत तू इतनी बेरहमी न दिखाया कर यमराज अगर भेजें किसी सैनिक को बुलावा तू यमराज से थोड़ी सी बेईमानी कर जाया कर
भारतवासी गर्व है तुझ पर तेरी एकता सच्चे मजहब पर प्रेम अखंडता की परिभाषा है तू स्नेह से दुलारी हुई भाषा है तू दंगों से…
मैंने पूछ ही लिया था एक दिन गुडहल से इतनी हिम्मत तू कहां से लाता है मैं मुरझा जाती हूं थोड़े से दर्द से तू…
जीवन की राह में सहता है वो दर्द तेरे संग मैं झेलू जो कहे कि साथ निभाएगा तू तो तेरी बला मैं अपनी सिर लेलू
कोई क्या होड़ करेगा भारतीय नारी की क्या खूब ही संवारती हैं वो अपने सिंगार को वहीं वीरता के चर्चे भी कम नहीं उनके उंगली…
इश्क वो नहीं जिसमें भावनाओं का मजाक बनाया जाता है इश्क तो वह है जो रूहानियत से निभाया जाता है
माना बहुत दूर है आशिया तुम्हारा इतने दिन हो गए तुम्हें आते आते इंतजार की घड़ी इतनी बड़ी हो गई मेरी कलम थक गई तुम्हारी…
क्योंकि तकलीफ तो हमें भी होती है तो दवा नहीं करते सदाबहारी का मोहब्बत कर हिस्से में आई बदनामी एक जख्म दे दिया है तुमने…
सौ दफा दफन किया मैंने तेरी याद को कब्र की धूल को उड़ा के दिल कुरेदती है कैसे
एक बात तो सोचने वाली है जरा तुम भी गौर फरमाओगे किसी घायल की जो मदद करो तो वीडियो कैसे बनाओगे तुमसे ना होगा जाने…
समय नहीं देते अभिभावक फिर बाद में पछताते हैं जब छोटे-छोटे बच्चों को बड़े फोन दिलाए जाते हैं पहले बच्चे खेलने जाते जाने संयम की…
जब देश की विकास दर बढ़ती है तो जाल फैलाया जाता है सोशल मीडिया के पिंजरे में नई पीढ़ी को फसाया जाता है कुछ बाज…
जब हवा दर्द भरा किस्सा सुनाती है मेरी रूह भी सहम सी जाती है कहे मैं गई एक दिन कदम की डारी अंडों के पास…
लोग कहते हैं मुझे भी ला देना वह मुस्कुराहट का मुखौटा जिसके पीछे यह दर्द भरा चेहरा छुपाती है मेरी तड़प उन दीवानों से पूछो…
सुलग रही है प्रतिदिन ज्वाला मानवता के पराली में कायरता की राख छनेगी कलयुग की इस जाली में पसरा होगा बस सन्नाटा मर्यादा की दहलीजो…
वह कहते हैं तबाह हो गए हम तेरे इश्क में कैसे कहे तबाही तो हमारी मोहब्बत की हुई है
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