मज़बूरी
रूह काँप जाती थी सोचकर, बगैर तेरे रहना ।
आज ये आलम है, पड़ रहा गमे-जुदाई सहना ।
इसे वक्त की मार कहूँ, या मज़बूरी का नाम दूँ,
गलत ना होगा, इसे जिंदगी की जरूरत कहना ।
किस दोराहे पर वक्त ने ला खड़ा कर दिया ‘देव’,
कुछ वक्त ने, कुछ तुमने, सीखा दिया तन्हां जीना ।
देवेश साखरे ‘देव’
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - December 8, 2019, 2:43 pm
Nice
देवेश साखरे 'देव' - December 8, 2019, 4:24 pm
Thanks
Poonam singh - December 8, 2019, 3:36 pm
Nice
देवेश साखरे 'देव' - December 8, 2019, 4:24 pm
Thanks
Abhishek kumar - December 8, 2019, 3:51 pm
Nice
देवेश साखरे 'देव' - December 8, 2019, 4:24 pm
Thanks
Abhishek kumar - December 8, 2019, 9:28 pm
Welcome
Pragya Shukla - December 9, 2019, 8:43 pm
Good
देवेश साखरे 'देव' - December 10, 2019, 3:15 pm
Thanks
Pragya Shukla - December 14, 2019, 3:20 pm
Wellcome
Abhishek kumar - December 14, 2019, 5:43 pm
सुन्दर रचना
देवेश साखरे 'देव' - December 16, 2019, 3:42 pm
धन्यवाद
Abhishek kumar - December 21, 2019, 10:20 pm
Good one
देवेश साखरे 'देव' - June 10, 2020, 4:33 pm
Thanks